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जीरो लाइन पर आयोजन को लेकर बंधी उम्मीद

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर होना है साझा कार्यक्रम बालूरघाट. भारत और बांग्लादेश की जीरो लाइन पर अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के पालन की उम्मीद आयोजकों को दिख रही है. सीमा की रखवाली करनेवाले भारतीय बल, बीएसएफ के उच्च अधिकारियों से अनुमति मिलने को लेकर भारतीय आयोजक चिंतित थे. पिछली बार की घटना को देखते हुए इस […]

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर होना है साझा कार्यक्रम

बालूरघाट. भारत और बांग्लादेश की जीरो लाइन पर अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के पालन की उम्मीद आयोजकों को दिख रही है. सीमा की रखवाली करनेवाले भारतीय बल, बीएसएफ के उच्च अधिकारियों से अनुमति मिलने को लेकर भारतीय आयोजक चिंतित थे. पिछली बार की घटना को देखते हुए इस बार जीरो लाइन पर आयोजन को लेकर संशय बना हुआ था. लेकिन बीएसएफ अधिकारियों से बातचीत के बाद उम्मीद बंधती दिख रही है.

आगामी 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर दक्षिण दिनाजपुर जिले के हिली (भारतीय क्षेत्र) और बांग्लादेश के दिनाजपुर के हिली की जीरो लाइन पर संयुक्त आयोजन का एक कार्यक्रम लिया गया है. इस पार की उज्जीवन सोसाइटी, भाषा और संस्कृति प्रेमी लोगों तथा कुछ गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है. दूसरी तरफ बांग्लादेशी पक्ष से आलोकित सीमांत तथा आमरा मुक्ति योद्धार शहीद कमांड स्वयंसेवी संगठनों की ओर से कोशिश हो रही है. दोनों देशों के जिला एवं ब्लॉक प्रशासन की ओर से भी भागीदारी की जाती रही है.

साल 2015 में पहली बार हिली सीमांत की जीरो लाइन पर अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का पालन शुरू हुआ. इस मौके पर कविता, साहित्य, संगीत, संस्कृति के मेलबंधन से जोरदार आयोजन हुआ. 2016 में फिर ऐसे ही आयोजन की कोशिश हुई. लेकिन बीएसएफ की अनुमति नहीं मिलने से आयोजन नहीं हो पाया. नतीजा यह हुआ कि कंटीली बाड़ के दोनों ओर अलग-अलग आयोजन हुए. इस साल फिर अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजन की योजना बनायी गयी है. पहले तो बीएसएफ से अनुमति मिलने को लेकर संशय था. लेकिन अभी 199वीं बटालियन के अधिकारियों से चर्चा के बाद उम्मीद की किरण दिख रही है. आयोजकों में से एक सूरज दास ने बताया कि दोनों देशों के बीच एक भाषाई प्रेम है. हम लोग भी प्रेम का संदेश देना चाहते हैं.

इसके बाद दोस्ती की बात कैसे होगी. उन्होंने कहा कि बीएसएफ से बातचीत के बाद उम्मीद दिख रही है. अनुमति के लिए लिखित आवेदन देने को कहा गया है. इसके अलावा हममें से कई लोगों ने पासपोर्ट बनवा रखा है. जरूरत पड़ने पर दूसरे विकल्प के बारे में सोचा जायेगा. उन्होंने कहा कि आशा है कि दोनों पड़ोसी देशों के लोगों की भावना को ध्यान में रखते हुए बीएसएफ कोई बाधा नहीं डालेगी.

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