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प्रभारी प्रधान शिक्षिका को नहीं घुसने दिया स्कूल में

स्कूल की इकलौती शिक्षिका हैं माधुरी साहा ग्रामीणों का आरोप, देर से आती हैं स्कूल शिक्षिका ने कहा, अकेले संभालती हैं सारा काम बालूरघाट. देरी से पहुंची प्रधान शिक्षिका को अभिभावकों और ग्रामवासियों ने स्कूल में घुसने नहीं दिया. काफी देर तक गेट के बाहर खड़ी रहने के बाद अमृतखंड कॉलोनी प्राथमिक विद्यालय की प्रभारी […]

स्कूल की इकलौती शिक्षिका हैं माधुरी साहा
ग्रामीणों का आरोप, देर से आती हैं स्कूल
शिक्षिका ने कहा, अकेले संभालती हैं सारा काम
बालूरघाट. देरी से पहुंची प्रधान शिक्षिका को अभिभावकों और ग्रामवासियों ने स्कूल में घुसने नहीं दिया. काफी देर तक गेट के बाहर खड़ी रहने के बाद अमृतखंड कॉलोनी प्राथमिक विद्यालय की प्रभारी प्रधान शिक्षिका वापस लौट गयी. नियमित रूप से और तय समय पर उनके स्कूल नहीं आने, ठीक से पढ़ाई नहीं होने और खराब मिड-डे मील को लेकर अभिभावक काफी दिनों से क्षुब्ध थे. स्कूल की इस एकमात्र शिक्षिका की बदली करने की मांग ग्रामीणों ने की है.
हालांकि शिक्षिका का दावा है कि वह अकेले ही सब काम संभालते हुए ठीक से स्कूल चला रही हैं. यह विद्यालय दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालूरघाट में स्थित है. इसकी स्थापना 1979 में हुई थी. एक समय इस स्कूल में छात्र-छात्राओं की संख्या स्वाभाविक थी. लेकिन अब यहां केवल 16 बच्चे रह गये हैं. 2005 में इस स्कूल में माधुरी साहा शिक्षिका के रूप में आयी थीं. 2015 में स्कूल की प्रधान शिक्षिका स्मृति घोष सेवानिवृत्त हो गयीं. इसके बाद माधुरी साहा को प्रभारी प्रधान शिक्षिका बना दिया गया. शुक्रवार को अभिभावकों और ग्रामीणों ने माधुरी साहा को घुसने नहीं दिया. गेट में ताला लगा होने की वजह से करीब दो घंटे तक बाहर खड़ी रहीं और इसके बाद वापस चली गयीं. ग्रामवासी नमिता माली, विकास बर्मन, मौमिता बर्मना ने कहा कि प्रधान शिक्षिका रोज दोपहर 12 बजे के बाद ही स्कूल पहुंचती हैं. स्कूल में पढ़ाई ठप है.
मिड-डे मील इतना खराब बनता है कि बच्चे खा नहीं पाते. यह इलाके का इकलौता प्राथमिक विद्यालय है. हमारी मांग है कि माधुरी साहा को यहां से हटाकर किसी और शिक्षिका को भेजा जाये. उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षिका मिड-डे मील के लिए जरूरी चीजों की आपूर्ति नहीं करती हैं.इधर प्रभारी प्रधान शिक्षिका माधुरी साहा ने कहा कि वह रोज समय पर स्कूल पहुंचती हैं. शुक्रवार को जरूरी थोड़ी देर हो गयी थी. लेकिन वह सकूल की एकमात्र शिक्षिका हैं. अकेले ही उन्हें पढ़ाना पढ़ता है, मिड-डे मील का काम देखना पड़ता है और स्कूल के अन्य काम निपटाने पड़ते हैं. वह जिला प्राथमिक शिक्षा संसद के सामने स्कूल की स्थिति पहले ही रख चुकी हैं.

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