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मेडिकल कॉलेज की नयी अधीक्षक ने पदभार संभाला

सिलीगुड़ी. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के इतिहास में पहली बार किसी महिला ने मेडिकल अधीक्षक का पदभार ग्रहण किया है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की पहली महिला अधीक्षक डॉ. मैत्री कर ने पदभार संभालते ही ऐतिहासिक निर्णय भी लिया है. अब मरीजों को डिस्चार्ज करने से पहले डॉक्टरों द्वारा लिखित दवाओं […]

सिलीगुड़ी. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के इतिहास में पहली बार किसी महिला ने मेडिकल अधीक्षक का पदभार ग्रहण किया है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की पहली महिला अधीक्षक डॉ. मैत्री कर ने पदभार संभालते ही ऐतिहासिक निर्णय भी लिया है. अब मरीजों को डिस्चार्ज करने से पहले डॉक्टरों द्वारा लिखित दवाओं की पूरी खुराक मुहैया करायी जायेगी. मेडिकल कॉलेज से इलाज कराने वाले रोगियों को बाहर से दवा खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी. उक्त घोषणा मेडिकल अधीक्षक मैत्री कर ने ही की है. बीते मंगलवार को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. मैत्री कर ने मेडिकल अधीक्षक का पदभार ग्रहण कर लिया है.

पूर्व अधीक्षक डॉ.निर्मल बेरा मंगलवार को चार्ज सौंप कर मनोचिकित्सा विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट(एचओडी) पद पर वापस लौट गये. उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ वर्ष पहले उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. निर्मल बेरा ने मेडिकल अधीक्षक का पदभार ग्रहण किया था. मेडिकल अधीक्षक बनने के कुछ दिन बाद से ही वह इस पद से मुक्त होने के लिये राज्य स्वास्थ विभाग से अनुरोध करने लगे थे. पिछले डेढ़ वर्षों में उन्होंने कइ बार इसकी अरजी राज्य स्वास्थ विभाग को दी.

उत्तर बंगाल मेडिकल सूत्रों के मुताबिक राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन का उन पर काफी दवाब था. किसी भी मामले में तृणमूल छात्र परिषद का पक्ष लेने का दवाब लगातार बनाया जा रहा था. जबकि उन्होंने साफ कर दिया था कि वे अपने पद और गरिमा के खिलाफ कुछ भी नहीं करेगें. हाल ही में स्वास्थ विभाग ने उत्तर बंगाल मेडिकल अधीक्षक डॉ. निर्मल बेरा के स्थान पर कॉलेज की डीन डॉ. मैत्री कर को नियुक्त किया. मंगलवार को डॉ. निर्मल बेरा ने डॉ. मैत्री कर को दायित्व सौंप दिया. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के इतिहास में पहली बार एक महिला के रूप में अधीक्षक का पदभार ग्रहण करते ही डॉ. मैत्री कर ने एक बड़ा एलान कर दिया. मेडिकल कॉलेज में भरती रहकर इलाज कराने वाले मरीजों को दवा की पूरी खुराक डिस्चार्ज करने के पहले उन्हें दे दी जायेगी.

उत्तर बंगाल के मालदा जिला को छोड़कर अन्य सभी जिलों एवं बिहार के किशनगंज आदि स्थानों से भी लोग इलाज कराने के लिये उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल पहुंचते हैं. यहां भरती होने वाले मरीजों को दो वक्त का भोजन व दवा भी मुहैया कराया जाता है. यहां से छुट्टी मिलते ही मरीजों को बाहर से दवा खरीदना पड़ता है. नयी मेडिकल अधीक्षक डॉ. मैत्री कर ने बताया कि डिस्चार्ज करने से पहले डॉक्टर द्वारा लिखी गयी दवा की पूरी खुराक रोगियों को दे दी जायेगी. दवा की खुराक एक सप्ताह का हो या तीन महीने का. रोगियों को बाहर से दवा खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी.

कैंपस में कचरे के अंबार पर भी निगाह ः उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल उत्तर बंगाल का सबसे बड़ा अस्पताल है. मेडिकल कॉलेज का कैंपस भी काफी बड़ा है. गंदगी यहां की सबसे प्रमुख समस्या है. मेडिकल वेस्टेज से चारों तरफ दुर्गंध का वातावरण बढ़ रहा है. मेडिकल के कचरे को डंपिग ग्राउंड में ना रखवाकर मेडिकल कैंपस में ही जहां-तहां के गड्ढ़े को भरा जा रहा है. कचरा सड़ने की वजह से वातावरण प्रदूषित हो रहा है. प्लास्टिक जैसे क्लिनिकल वेस्टेज की वजह से मिट्टी भी प्रदूषित हो रही है. मेडिकल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार क्लिनिकल वेस्टेज निस्तारण के लिये सिलीगुड़ी नगर निगम के साथ एक समझौता हुआ है. लेकिन अभी भी निगम द्वारा कचरे की ढुलाइ नहीं की रही है. इस संबंध में मेडिकल अधीक्षक मैत्री कर ने बताया कि इस मामले को प्राथमिकता के साथ देखा जायेगा.

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