अलीपुरद्वार. नगदी की समस्या को देखते हुए अलीपुरद्वार के एक चाय बागान ने कैशलेस लेन-देन की सुविधा शुरू की है. बागान सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पहले इस चाय बागान में काम कर रहे अधिकांश श्रमिकों के बैंक खाते नहीं थे. सबसे पहले श्रमिकों का खाता खोलने का निर्णय लिया गया. इसके लिए बैंक […]
अलीपुरद्वार. नगदी की समस्या को देखते हुए अलीपुरद्वार के एक चाय बागान ने कैशलेस लेन-देन की सुविधा शुरू की है. बागान सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पहले इस चाय बागान में काम कर रहे अधिकांश श्रमिकों के बैंक खाते नहीं थे. सबसे पहले श्रमिकों का खाता खोलने का निर्णय लिया गया.
इसके लिए बैंक ऑफ इंडिया के एक विशेष काउंटर की स्थापना चाय बागान में की गयी. उसके बाद खाता खोलने का काम शुरू हुआ. लेकिन समस्या तब उत्पन्न हो गयी जब काफी चाय श्रमिकों के पास न तो आधार कार्ड थे और न ही वोटर कार्ड. ऐसी परिस्थिति में चाय बागान प्रबंधन के साथ ही बैंकवाले भी परेशानी में पड़ गये. बाद में किसी तरह से समस्या का समाधान कर यहां के 17 सौ स्थायी श्रमिकों का बैंक खाता खोला गया. अब इन चाय श्रमिकों के खाते में सीधे वेतन का भुगतान हो रहा है. इस चाय बागान के मैनेजर चिनमय धर ने शुक्रवार को मांझेरडाबरी चाय बागान के कैशलेस चाय बागान होने की जानकारी दी. हालांकि इसके आधिकारिक घोषणा एक जनवरी को की जायेगी. श्री धर ने बताया कि एक जनवरी से चाय बागान इलाके में कोई भी लेन-देन नगद नहीं करने का निर्णय लिया गया है.
सारे लेन-देन बैंक अकाउंट के माध्यम से किये जायेंगे. सभी 17 सौ स्थायी श्रमिकों के बैंक खाते खोल दिये गये हैं. शुरू में थोड़ी समस्या हुई थी, लेकिन बाद में सबकुछ सामान्य हो गया. उन्होंने कहा कि यह चाय बागान राज्य में पहला कैशलेस चाय बागान है. चाय बागान की एक श्रमिक अनिता मूंडा ने बताया है कि पहले नगद में मजदूरी मिलती थी. बैंक में खाते नहीं थे. अभी बैंक में खाता है. वेतन के पैसे वही जमा हो रहे हैं. इससे काफी सुविधा हो गयी है. नगद में वेतन मिलने से सारा पैसा तुरंत खर्च हो जाता था. अब जितना जरूरत है उतना ही पैसा खाते से निकालती है. बाकी रकम बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिए खाते में ही छोड़ देती है.
इस संबंध में बैंक ऑफ इंडिया के अलीपुरद्वार ब्रांच की मैनेजर नंदिता राय ने बताया है कि चाय बागान में श्रमिकों के खाता खोलने का काम करीब पूरा होने को है. कुछ ही श्रमिक ऐसे बचे हैं जिनका खाता नहीं खुला है. उनका भी बैंक खाता शीघ्र खोल दिया जायेगा. इस काम में करीब एक महीने का समय लगा है. उन्होंने बताया कि बैंक के पास भी कर्मचारियों की कमी है. ऐसी परिस्थिति में लगातार एक महीने तक चाय बागान में रह कर श्रमिकों का खाता खोलना इतना सहज काम नहीं था. शुरू में काफी परेशानी हुई. इसके अलावा कई लोगों के पास आधार और वोटर कार्ड नहीं होने से भी परेशानी हुई. जोनल ऑफिस से चार कर्मचारी यहां काम के लिए भेजे गये. उसके बाद सभी श्रमिकों का खाता खोल पाना संभव हो सका.
बना राज्य का पहला कैशलेस चाय बागान
नोटबंदी की घोषणा के बाद पहली बार राज्य के किसी चाय बागान में लेन-देन को कैशलेस बनाया जा रहा है. इससे पहले, असम के हाइलाकांडी चाय बागान में इस प्रकार की व्यवस्था शुरू हुई थी. अब अलीपुरद्वार जिले के मांझेरडाबरी चाय बागान में इसकी शुरुआत हो रही है. उत्तर बंगाल में करीब 302 चाय बागान हैं. ये सभी चाय बागान उत्तर बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर और मालदा जिले को छोड़कर बाकी पांच जिले अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, दार्जिलिंग और उत्तर दिनाजपुर जिले में फैले हुए हैं. इनमें से भी अलीपुरद्वार तथा जलपाईगुड़ी जिले में चाय बागानों की संख्या काफी अधिक है. इन दोनों जिलों के डुवार्स क्षेत्र को चाय बागानों के लिए भी जाना जाता है. यहां के अधिकांश चाय बागानों में इन दिनों नगदी की समस्या है. नगद पैसे नहीं होने की वजह से चाय बागान श्रमिकों को वेतन एवं मजदूरी देने तक की मुश्किलें हो रही हैं. ऐसी परिस्थिति में मांझेरडाबरी चाय बागान ने कैशलेस सिस्टम अपनाकर एक बड़ा कदम उठाया है.