देश के अन्य भागों की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी यह समस्या है. यह बातें राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक अदिति किशोर सरकार ने कही. वह सर्किट हाउस में जिला प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे .उन्होंने कहा केंद्र सरकार द्वारा हर दस साल में एक बार जनगणना करायी जाती है.उसके रिपोर्ट भी जारी होते हैं और ऐस किसी भी रिपोर्ट में यह नहीं देखा गया है कि महिलाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. अगर हम पिछले दो जनगणनाओं वर्ष 2001 तथा 2011 की बात करें तो इसमें भी पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या में कमी आयी है.
जाहिर इस परिस्थिति से बचने के लिए आमलोगों को तो जागरूक होना ही पड़ेगा साथ सरकार द्वारा भी कठोर कदम उठाने की जरूरत है. कन्य भ्रूण हत्या को हर कीमत पर रोकने की आवश्यकता है. लगातार कन्या भ्रूण हत्या के मामले बढ़ रहे हैं.उन्होंने आगे कहा कि समाज में सचेतनता की कमी है. इस आधुनिक जमाने में भी माता-पिता द्वारा बेटे और बेटियों के बीच भेदभाव किया जाता है.लोग अभी भी लिंग परीक्षण करवा रहे हैं. गर्भ में कन्या होने की बात सामने आते ही भ्रूण की हत्या कर दी जाती है.
श्री सरकार ने कहा कि लिंग परीक्षण एक कानूनी अपराध है. उसके बाद भी कइ जांच लैब इस अपराध को कर रहे है. उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या के मामले को राज्य सरकार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी और ऐसे जांच लैबों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी.श्री सरकार ने आगे कहा कि जिला प्रशासन को सभी जांच लैबों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए कहा गया है. इसके अलावा इस मामले पर नजर रखने के लिए सभी जिले में एक विशेष कमेटी बनायी जा रही है. इसके साथ ही इसको लेकर राज्य सरकार बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान शुरू करने जा रही है.गांव-गांव जाकर इस अभियान को चलाया जायेगा. इससे पहले सर्किट हाउस में इस मुद्दे को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने एक उच्चस्तरीय बैठक की.इसमें उत्तर बंगाल के सभी सात जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा जिले के सीएमओएच और अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित हुए.