ग्राहकों का आरोप है कि साधारण ग्राहकों को तीन दिनों से घंटों लाइन लगवा कर रुपये नहीं दिये जा रहे हैं. तीन दिनों से बैरंग ही उन्हें लौट जाना पड़ रहा है. उनका आरोप है कि बैंक मैनेजर केवल बड़े व्यवसायियों को ही रुपये दे रहे हैं. ग्राहकों ने बताया कि घटना के बाद मैनेजर कार्यालय छोड़ कर चले गये हैं. घटना को लेकर ग्राहकों ने बंद शाखा के समक्ष घंटों विक्षोभ प्रदर्शन किया. घटनास्थल पर बाद में पहुंची पुलिस ने परिस्थिति को नियंत्रित किया. ग्राहकों का कहना है कि यदि बुधवार को उन्हें रुपये नहीं मिले, तो उग्र आंदोलन किया जायेगा. घटना में स्थानीय बैंक मैनेजर की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी है.
सनद रहे कि नोटबंदी के निर्णय के बाद आम जनता की परेशानियां काफी बढ़ गयी हैं. केंद्र सरकार, वित्त मंत्री तथा आरबीआइ के अधिकारी रोजाना स्थिति सामान्य होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्थिति इसके ठीक विपरीत है. बड़े शहरों के बैंक कार्यालयों में रुपये उपलब्ध हो भी रहे हैं, तो ग्रामीण इलाकों तथा खास कर छोटे बैंकों ने काफी पहले ही हाथ उठा दिये हैं. उनका कहना है कि उन्हें चेस्ट बैंकों से पर्याप्त राशि नहीं मिल रही है. इस स्थिति में वे अपने ग्राहकों की राशि का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. इधर ग्राहकों का कहना है कि संचय की नीति के कारण उन्होंने अधिसंख्य राशि बैंक में रखी है. घर में जो थोड़े पैसे थे, वे समाप्त हो गये हैं. बैंक अधिकारी भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. रोजाना बैंक कार्यालय में आकर लाइन लगाना पड़ता है. संध्या में खाली हाथ लौटना पड़ता है. कई जरूरी कार्य बाधित हैं. इस स्थिति में दिन चर्चा काफी मुश्किल होती जा रही है.