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नोटबंदी की मार से धान के किसान परेशान

जलपाईगुड़ी. नोटबंदी की मार से आलू किसान के बाद अब धान के किसान परेशान हो रहे हैं. एक ओर जहां आलू किसान नयी फसल नहीं लगा पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर धान किसानों को तैयार फसल की सही कीमत नहीं मिल रही है. नगदी की किल्लत हर ओर है. यहां बता दें कि डुवार्स […]

जलपाईगुड़ी. नोटबंदी की मार से आलू किसान के बाद अब धान के किसान परेशान हो रहे हैं. एक ओर जहां आलू किसान नयी फसल नहीं लगा पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर धान किसानों को तैयार फसल की सही कीमत नहीं मिल रही है. नगदी की किल्लत हर ओर है.
यहां बता दें कि डुवार्स में विभिन्न स्थानों पर बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है. अभी आलू लगाने का मौसम है. हजार तथा पांच सौ रुपये के नोट बंद हो जाने के बाद किसानों के पास नगदी का संकट है. बैंकों की लाइन में घंटों खड़े रहने के बाद भी पैसे नहीं मिल पा रहे हैं. इसकी वजह से आलू किसान ना तो बीज खरीद पा रहे हैं और ना ही खाद. स्वाभाविक तौर आलू की खेती में देरी हो रही है.
दूसरी ओर धान किसानों की अलग परेशानी है. किसानों के पास फसल तैयार है और बस धान की बिक्री करनी है. आरोप है कि हल्दीबाड़ी हाट में थोक व्यवसायी नोटबंदी का बहाना बना कर धान की सही कीमत नहीं दे रहे हैं. थोक बाजार में धान के दाम में काफी कमी आयी है. कम पैसे देने की वजह से आये दिन यहां किसों और थोक व्यापरियों के बीच कहा-सुनी हो रही है. कम दाम मिलने की वजह से किसान भी धान बेचने के लिए मंडी में नहीं आ रहे हैं. हल्दीबाड़ी हाट में एक तरह से कहें तो वीरानी छायी हुयी है. स्थानीय किसानों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले एक सप्ताह के दौरान ही धान की कीमत में काफी कमी आ गयी है. सातकुड़ा के रहने वाले एक किसान ने बताया कि पिछले सप्ताह 460 रुपये मन की दर से धान बेचकर गये थे. इस सप्ताह थोक कारोबारी एक मन यानि 40 किलो धान की कीमत 320 रुपये दे रहे हैं. उसने आगे बताया कि नोटबंदी से पहले इतनी परेशानी नहीं होती थी. मिल मालिक ही धान खरीद लेते थे. अब उनके पास धान बेचने जाते हैं तो पैसा नहीं होने की दुहायी देते हैं.
उल्लेखनीय है कि हल्दीबाड़ी में हर मंगलवार को हाट लगता है. यहां दूर-दराज के किसान अपने पैदावार को बेचने आते हैं. कई और किसानों ने भी इसी प्रकार की परेशानी बतायी. इस संबंध में हल्दीबाड़ी व्यवसायी समिति के सचिव चिरंजीत सरकार ने बताया कि नोटबंदी का असर हर ओर है. थोक कारोबारियों के पास भी किसों को देने के लिए पैसे नहीं है. हालांकि उन्होंने कुछ दिनों के अंदर ही स्थिति सामान्य हो जाने का दावा भी किया.

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