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चाय बागान श्रमिकों ने जाम किया एनएच 31

जलपाईगुड़ी. नोटबंदी से उत्पन्न नकदी संकट के चलते 29 अक्तूबर से मजदूरी नहीं मिल रही है. खाद्य विभाग से मिलनेवाले दो रुपये किलो, भूसी-कीड़े वाले चावल-गेहूं से चाय श्रमिक आधापेट खाकर गुजारा कर रहे हैं. अनाज नहीं खरीद पाने के कारण चाय के फूल पकाकर खा रहे हैं. बुधवार को बकाया मजदूरी की मांग को […]

जलपाईगुड़ी. नोटबंदी से उत्पन्न नकदी संकट के चलते 29 अक्तूबर से मजदूरी नहीं मिल रही है. खाद्य विभाग से मिलनेवाले दो रुपये किलो, भूसी-कीड़े वाले चावल-गेहूं से चाय श्रमिक आधापेट खाकर गुजारा कर रहे हैं. अनाज नहीं खरीद पाने के कारण चाय के फूल पकाकर खा रहे हैं. बुधवार को बकाया मजदूरी की मांग को लेकर चाय श्रमिकों ने जलपाईगुड़ी में राष्ट्रीय राजमार्ग जाम किया. इस दौरान श्रमिकों से बात करने पर उक्त तसवीर सामने आयी.

बकाया मजदूरी की मांग को लेकर करला वैली चाय बागान के श्रमिकों ने बुधवार को जलपाईगुड़ी शहर के पास असम मोड़ इलाके में एनएच31 जाम कर दिया. प्रदर्शनकारी श्रमिक थाली, कटोरी, गिलास और पका हुआ खाना लेकर सड़क पर बैठे थे. श्रमिकों ने सुबह करीब साढ़े नौ बजे पहले बागान मैनेजर का घेराव किया. इसके बाद करीब दस बजे सड़क जाम कर दी. असम मोड़ इलाके में श्रमिकों के एनएच 31 पर बैठ जाने से दोनों ओर भारी जाम लग गया. करला वैली चाय बागान में श्रमिक राजू सहनी और प्रान उरांव ने बताया कि पहले जिला प्रशासन ने बागानों से मजदूरी का पैसा अपने खाते में लिया. फिर मंगलवार को प्रशासन ने यह पैसा वापस बागानों के खातों में लौटा दिया. इस हालत में श्रमिकों को वेतन कब मिलेगा, कुछ पता नहीं है. प्रशासन चाय बागानों में वेतन कब दिलवायेगा, जब तक यह स्पष्ट नहीं होगा, यह जाम नहीं उठेगा.

करला वैली बागान में ही श्रमिक सुकरी किशन और कलाइंती बराइक ने बताया कि गत 29 अक्तूबर को उन्हें आखिरी बार द्विपाक्षिक और साप्ताहिक मजदूरी मिली थी. अब हाथ में एक पैसा नहीं है. खाद्य विभाग से सात किलो चावल और छह किलो गेहूं मिल रहा है. लेकिन इसमें कीड़े और भूसी काफी ज्यादा है. इतने अनाज से सात से दस लोगों के परिवार का महीना भर गुजारा संभव नहीं है. बागान की एक और श्रमिक रेखा उरांव ने बताया कि मजबूरी में चाय के पेड़ों के फूल तक पकाकर खाना पड़ रहा है. किसी तरह एक टाइम आधापेट खाकर रह रहे हैं. अभी हम लोग को पुरानी मजदूरी ही नहीं मिल पायी है और आगामी सोमवार को नयी द्विपाक्षिक और साप्ताहिक मजदूरी मिलने का समय आ गया है. इसलिए मजबूर होकर हमें सड़क जाम करनी पड़ी है.

इधर इंडियन टी प्लांटर्स एसोसिएशन के मुख्य सलाहकार अमृतांशु चक्रवर्ती ने बताया कि बागानों ने प्रशासन के खाते में मजदूरी का पैसा डाल दिया था, लेकिन प्रशासन ने पैसा वापस बागानों को लौटा दिया. बागान कैसे पैसा निकालकर मजदूरों को देंगे, यह मुझे नहीं मालूम. वहीं जिला अधिकारी मुक्ता आर्य ने कहा कि बुधवार शाम को उन्होंने सभी बैंकों, श्रमिक यूनियनों की बैठक समस्या के समाधान के लिए बुलायी है.

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