जमीन मालिकों की ओर से अधिवक्ता यूसूफ अली ने भी इन हर तरह के दस्तावेज होने का दावा भी किया. यूसूफ ने बताया कि आरोप लगानेवाले जिगमय सोनम भूटिया, अर्पण सुब्बा, अश्विनी बर्मन, विजय बर्मन, तारामणि छेत्री, साबिन थापा, निरज कुमार तामांग उर्फ विनय, फिरोज छेत्री व विनोद छेत्री हैं. इन सभी के विरूद्ध प्रधाननगर थाना में मामला दायर है. साथ ही सिविल कोर्ट में भी मामला विचाराधीन है. यूसूफ ने बताया कि कोर्ट ने आरोपियों से दखल वाली जमीन का सरकारी जमीन से संबंधित कागजात पेश करने को कई बार कहा, लेकिन आजतक पेश नहीं कर सके. इसके बाद ही कोर्ट ने फैसला न होने तक जमीन मालिकों किसी तरह परेशान न करने का निर्देश भी दे रखा है.
यूसूफ का कहना है कि आरोपी महेशमारी नदी के पास ही एक नाले को बंद करने का आरोप लगा रहे हैं. जो पूरी तरह झूठ है. न ही नदी किनारे की जमीन दखल हो रही है और न ही नाले को बंद किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिस जमीन को लेकर घमासान मचा है वहां कुल 40 डिस्मिल जमीन है. उसके 10 डिस्मिल हिस्से पर अरूण बर्मन का एकाधिकार है. बाकि 30 डिस्मिल जमीन अन्य चार मालिकों का है.
युसुफ का कहना है कि इस जमीन पर मेथिबाड़ी के कुछ लोगों की बहुत दिनों से नजर गड़ हुई है. इसलिए उनलोगों ने मेथिबाड़ी जनहित समाज नामक एक संगठन बनाकर बेवजह इसे तूल दे रहे हैं. विदित हो कि दो दिन पहले ही मेथिबारी जनहित समाज की ओर से सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में प्रेस-वार्ता आयोजित की गयी थी. इस दौरान संगठन की ओर से अध्यक्ष मनोज कुमार मुक्तान, तारामणि छेत्री व अन्यों ने नदी तट दखल करने और नाले को मिट्टी, बालू-पत्थर से भरकर बंद करने का आरोप लगाया था. साथ ही नदी को बचाने के लिए आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गयी थी.