कंप्यूटर व्यवसायी जैदुल इसलाम ने बताया कि रतुआ इलाके में कोई कारोबारी 10 रुपये का सिक्का लेने को तैयार नहीं है. इसीलिए वह इन सिक्कों के बारे में सलाह लेने के लिए बैंक आये हैं. वह जानना चाहते हैं कि ये सिक्के नकली हैं या फिर असली. लेकिन बैंक अधिकारियों ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया. लाचार जैदुल इसलाम सिक्के लेकर वापस लौट गये. मालदा शहर के मकदमपुर इलाके के दवा दुकानदार सुमन सरकार ने बताया कि वह 10 रुपये के 50 सिक्के लेकर भारतीय स्टेट बैंक की मालदा की प्रधान शाखा में गये थे. लेकिन बैंक अधिकारियों ने इस बारे में बात करने से मना कर दिया. ये सिक्के असली हैं या नकली, बैंक यह भी बताने को तैयार नहीं है. ऐसे में यह समझ नहीं आ रहा है कि इन सिक्कों का क्या करूं.उन्होंने बताया कि दवा की खरीद-बिक्री के दौरान ये सिक्के उनके पास आये. अब इन सिक्कों को कोई लेना नहीं चाहता.
पूरा मामला जिला प्रशासन की नजर में भी लाया गया है. आखिर व्यवसायी कैसे समझ पायेगा कि कौन सा सिक्का असली है और कौन नकली? इस का नतीजा यह हुआ है 10 रुपये के सिक्कों का लेनदेन पूरी तरह बंद हो गया है. इस मामले को जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों को देखना चाहिए. इस संबंध में एसबीआइ की मालदा की प्रधान शाखा के मैनेजर सफदर हुसेन ने कहा कि अभी तक कोई हमारी नजर में यह मामला लाया नहीं है. इसके अलावा हम टेक्निकल लोग नहीं हैं. हमारे पास अगर 10 रुपये के सिक्के लाये जाते हैं, तो हम रिजर्व के पास उन्हें भेजकर सलाह ले सकते हैं. वही लोग बता पायेंगे कि सिक्के असली हैं या नकली. इसके अलावा इस विवादित विषय में बोलने का हमारे पास कोई अधिकार नहीं है.