पिछले डेढ़ साल के दौरान उन्होंने दो हिन्दी फीचर फिल्मों सहित 14 फिल्में छोड़ दी है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह राजनीति को लेकर कितनी गंभीर हैं. वह जब भाजपा में शामिल हुई थी, तो महिला अत्याचार के खिलाफ कामदुनी से लेकर काकद्वीप तक की पदयात्रा की थी. रूपा गांगुली ने इसके साथ ही राज्य सरकार तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में राज्य के लोगों ने बड़ी ही उम्मीद के साथ सत्ता परिवर्तन किया था, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ है. ममता बनर्जी 2011 के बाद इस साल दोबारा सत्ता में आयी है उसके बाद भी महिलाओं का उत्पीड़न बंद नहीं हुआ है. महिला उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. एक दिन पहले ही वीरभूम में तीन लड़कियों पर तेजाब से हमला हुआ है. यह कोई पहली घटना नहीं है. राज्य की तृणमूल सरकार के समय महिलाओं पर लगातार हमले हो रहे हैं. महिला उत्पीड़न और बलात्कार की घटनाएं काफी बढ़ी है. सबसे आश्चर्यजनक यह है कि महिलाओं पर अत्याचार को रोकने के लिए राज्य सरकार पहले से ही कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. जब कोई घटना घट जाती है, तब हो-हल्ला मचता है. कई मामलों में तो पीड़ित महिलाओं को ही दोषी ठहरा दिया जाता है.
रूपा गांगुली ने आगे कहा कि इस राज्य में सिर्फ वोट की राजनीति हो रही है. सामाजिक कार्यों से किसी को कोई सरोकार नहीं है. राज्य में राजनीतिक परिवर्तन तो हुआ लेकिन सामाजिक परिवर्तन नहीं हुआ है. छोटी-छोटी सी बात पर राज्य के लोग उत्तेजित हो जाते हैं और मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं. किसी स्कूल में शिक्षक द्वारा बच्चे के साथ मारपीट अथवा डांट-डपट करने जैसे मामले भी बड़ा आकार धारण कर लेता है. अभिभावक तथा स्थानीय लोग तोड़फोड़ पर उतर जाते हैं. सभी लोग आपस में मिल कर रहें तथा इस प्रकार की घटना न हो, इसके लिए जरूरी है कि राज्य में सामाजिक परिवर्तन भी हो. उन्होंने साफ-साफ कहा कि तृणमूल के रहते सामाजिक परिवर्तन संभव नहीं है. इस राज्य में एक बार और सत्ता परिवर्तन की आवश्यकता है.
भाजपा अगर सत्ता में आती है, तो राजनीतिक परिरवर्तन के साथ ही सामाजिक परिवर्तन भी होगा. उन्होंने आगे कहा कि राज्य में महिला उत्पीड़न के मामले रोकने के लिए ही भाजपा अपने महिला मोरचा को मजबूत कर रही है. दक्षिण बंगाल से लेकर उत्तर बंगाल तक सभी जिलों में भाजपा महिला मोरचा को मजबूत कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य की तृणमूल सरकार तथा मुख्यमंत्री एकछत्र राज करना चाहती हैं. विरोधियों को कुचला जा रहा है. विकास के नाम पर सरकारी भवनों को नीले एवं सादे रंगों में रंगा जा रहा है. उन्होंने राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा कि उत्तर बंगाल में कम से कम इन दोनों रंगों का प्रयोग न हो.
उत्तर बंगाल की पहचान हरियाली को लेकर है और यदि यहां हरियाली ही छायी रहे, तो सबसे बेहतर होगा. महिला अत्याचार के मामले पर उन्होंने आगे कहा कि पुलिस प्रशासन राज्य के सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर काम करती है. प्रशासन सख्त नहीं है. यदि प्रशासन सख्त हो जाये तो महिला उत्पीड़न के मामले रोके जा सकते हैं. चाय बागान के संबंध में रूपा गांगुली ने कहा कि वह उत्तर बंगाल में विभिन्न चाय बागानों का दौरा कर आयी हैं. चाय बागानों की स्थिति काफी खराब है. चाय श्रमिक बेवश हैं. फिर भी राज्य सरकार कहती है कि चाय बागानों में कहीं कोई समस्या नहीं है. विधानसभा में तृणमूल के नेता और मंत्री झूठ बोल देते हैं.