सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर तीनधरिया में दूसरे दिन भी स्थिति विकराल बनी हुई है. दार्जिलिंग की ओर जाने वाली एनएच-55 सड़क को जाम कर ट्रक ड्राइवरों ने बुधवार से जो विरोध प्रदर्शन शुरू किया था वह बृहस्पतिवार को दूसरे दिन भी जारी है. सैकड़ों की संख्या में ट्रक ड्राइवर दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के ट्वाय ट्रेन को घेर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इन लोगों ने सड़क को भी जाम कर दिया है, जिसकी वजह से दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई है. घटना की शुरूआत बुधवार को हुई.
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के जवानों द्वारा इस राजमार्ग से वाहनों की आवाजाही बंद किये जाने के बाद ट्रक ड्राइवरों का गुस्सा भड़क गया. यह लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे. स्थानीय लोगों ने भी इन ट्रक ड्राइवरों का साथ दिया है. उस समय तीनधरिया रेलवे शेड से एक ट्वाय ट्रेन ट्रायल रन पर निकली हुई थी. एक डीजल इंजन तथा एक बोगी के साथ निकली इस ट्रेन को ड्राइवरों तथा स्थानीय लोगों ने रोक दिया. तब से यह ट्रेन वही पर रूकी हुई है. इस बीच, आरपीएफ के जवानों की तैनाती वहां बढ़ा दी गई है. इसके अलावा राज्य पुलिस के जवान भी काफी संख्या में मौके पर पहुंच गये हैं. रेलवे प्रशासन तथा ट्रक ड्राइवरों के यूनियन दार्जिलिंग ट्रक ड्राइवर्स एसोसिएशन के नेताओं के बीच बातचीत जारी थी. हालांकि खबर लिखे जाने तक समस्या जस की तस बनी हुई है.
दार्जिलिंग ट्रक ड्राइवर्स एसोसिएशन के कर्सियांग युनिट के सचिव हरि कार्की ने बताया है कि पांच साल से राष्ट्रीय राजमार्ग बंद है. ट्रक ड्राइवर रोहिणी होकर आवाजाही कर रहे थे. अब रोहिणी का रास्ता भी बंद कर दिया गया है. परिणाम स्वरूप इसी रास्ते से जोखिम उठाते हुए भी आवाजाही करने के अलावा इनके पास कोई चारा नहीं है. उन्होंने इस सड़क से वाहनों की आवाजाही नहीं करने देने पर और भी बड़े आंदोलन के साथ-साथ अनशन करने की भी धमकी दी है.इसबीच,रेलवे अधिकारी ट्वाय ट्रेन को भी वहां से नहीं निकाल पा रहे हैं.
क्या है मामला
तीनधरिया के निकट पगलाझोड़ा में वर्ष 2011 में भूस्खलन के बाद से ही एनएच-55 बंद है. काफी आंदोलन के बाद भी इस सड़क के मरम्मत की दिशा में कोई पहल नहीं की गई. विश्व धरोहर में शुमार दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के ट्वाय ट्रेन की आवाजाही भी इसी रूट से होती है. भूस्खलन में सड़क के साथ-साथ ट्वाय ट्रेन की पटरियों को भी काफी नुकसान हुआ. ट्वाय ट्रेन की आवाजाही भी बंद कर दी गई थी. बाद में यूनेस्को ने इस रूट से होकर ट्वाय ट्रेन की आवाजाही नहीं होने की स्थिति में विश्व धरोहर का दर्जा वापस लेने की चेतावनी दी. उसके बाद ही रेलवे ने ट्वाय ट्रेन की आवाजाही के लिए सड़क के साथ ही रेलवे पटरियों की मरम्मती करवायी. रेलवे पटरी बनाने के लिए सड़क को भी आंशिक रूप से दुरुस्त किया गया है. उसके बाद से ही ट्रक ड्राइवर जोखिम उठाकर भी इस रूट से आवाजाही करने लगे.
कब शुरू हुई गड़बड़ी
गड़बड़ी की शुरूआत बुधवार दोपहर को हुई. ट्वाय ट्रेन की पटरी खराब होने की दुहाई देकर आरपीएफ के जवानों ने ट्रकों की आवाजाही बंद करा दी. उसके बाद ही ट्रक डाइवरों के साथ-साथ स्थानीय लोगों का भी गुस्सा भड़क गया. ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि वह लोग अपने स्तर पर सड़क की मरम्मती करा कर आवाजाही कर रहे हैं. रेलवे को इससे कोई लेना-देना नहीं है.
क्या कहते हैं रेलवे अधिकारी
डीएचआर के एरिया मैनेजर नरेन्द्र मोहन का कहना है कि इस रूट पर वाहनों की आवाजाही से रेलवे पटरियों को नुकसान होगा. ट्रकें रेलवे की जमीन से आ-जा रही हैं. सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि वाहनों की आवाजाही काफी खतरनाक है. रेलवे पटरियों के नुकसान की आशंका को लेकर ही वाहनों की आवाजाही बंद करा दी गई है.