शिक्षा विभाग और पुलिस सूत्रों ने बताया कि शांता चक्रवर्ती कोलकाता के बेहला इलाके की रहने वाली हैं. उन्होंने दिसंबर 2013 में गाजोल थाने के बाबूपुर हाई स्कूल में शिक्षिका पद पर योगदान दिया था. अभी वह मालदा शहर के एयरव्यू कॉम्लेक्स इलाके में मकान किराये पर लेकर रहती हैं. स्कूल में योगदान देने के बाद उन्होंने स्कूल में कई अनियमितताएं और पठन-पाठन में अव्यवस्था देखी. शिक्षिका ने इसका विरोध किया. इसे लेकर उनके सह-कर्मी शिक्षक बदला लेने पर उतर आये. सभी शिक्षकों ने एकजुट होकर उनके खिलाफ तरह-तरह के षडयंत्र शुरू कर दिये. शिक्षिका शांता चक्रवर्ती ने बताया कि छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य के लिए मैने स्कूल में चल रही गड़बड़ी का विरोध किया. इसके बाद शिक्षकों के एक गुट ने मेरे साथ खराब व्यवहार शुरू कर दिया. जुलाई 2014 से मेरा उत्पीड़न बढ़ता ही गया.
उसी साल 11 जुलाई को मैने गाजोल थाने में स्कूल के चार शिक्षकों राजू राम, अनिसूर रहमान, स्वप्न सिकदर और रफीकुल इस्लाम के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी. शांता चक्रवर्ती ने बताया कि उन्होंने मातृत्वकालीन अवकाश के लिए स्कूल प्रबंधन के पास आवेदन किया था. लेकिन स्कूल प्रबंधन ने छुट्टी मंजूर नहीं की. मेरा 104 दिन का वेतन काट दिया गया. यह पैसा मुझे ट्रेजरी में जमा कराना पड़ा. अब स्कूल प्रबंधन मेरी नौकरी के स्थायीकरण में भी टाल-मटोल कर रहा है. स्कूल प्रबंधन का कहना है कि स्थायीकरण तभी होगा जब वह चारों शिक्षकों पर से शिकायत वापस ले लें.शिकायतकर्ता श्रीमती चक्रवर्ती ने कहा कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस कर रही हैं. स्कूल आते जाते समय रास्ते में कुछ बाइक सवार लोग उनका पीछा करते हैं और डराते-धमकाते हैं.
शिक्षिका ने कहा कि किसी भी समय उनकी हत्या की जा सकती है. वह पूरे मामले की जानकारी जिला शिक्षा विभाग और पुलिस को दे चुकी हैं. अब वह अपनी फरियाद लेकर मुख्यमंत्री के पास जाने की सोच रही हैं. इधर, बाबूपुर हाई स्कूल के प्रधान शिक्षक दिलीप चक्रवर्ती ने बताया कि जो शिक्षिका स्कूल पर आरोप लगा रही हैं, उनके सभी जरूरी कागज डीआई ऑफिस में भेजे जा चुके हैं. डीआई ऑफिस से अभी तक उनका स्थायीकरण क्यों नहीं हुआ, इस बारे में डीआई ऑफिस ही कुछ बता सकता है. स्कूल में कभी कोई गड़बड़ी हुई हो, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है.
डीआई आशीष चौधरी ने इस बारे में बताया कि स्कूल प्रबंधन उस शिक्षिका के साथ जो आचरण कर रहा है, वह ठीक नहीं है. मैंने स्कूल प्रबंधन को कई बार यह मामला निपटाने के लिए बोला है. यहां तक कि वेतन बंद करने की चेतावनी भी दी गई है. लेकिन इसके बावजूद अगर स्कूल प्रबंधन का रवैया नहीं बदल रहा है तो उसके खिलाफ कड़े कदम उठाये जायेंगे.