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बीएड फीस विवाद को लेकर बैठक 21 को

मालदा: फीस को लेकर पैदा हुए विवाद के हल के लिए गौड़बंग विश्वविद्यालय के उपाचार्य (वाइस चांसलर) गोपाल चंद्र मिश्र ने सेल्फ फाइनेंस बीएड कॉलेजों के मालिकों की बैठक आगामी 21 जून को बुलायी है. गुरुवार को मालदा और उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर जिलों के 22 बीएड कॉलजों के कई विद्यार्थियों ने फीस कम करने […]

मालदा: फीस को लेकर पैदा हुए विवाद के हल के लिए गौड़बंग विश्वविद्यालय के उपाचार्य (वाइस चांसलर) गोपाल चंद्र मिश्र ने सेल्फ फाइनेंस बीएड कॉलेजों के मालिकों की बैठक आगामी 21 जून को बुलायी है. गुरुवार को मालदा और उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर जिलों के 22 बीएड कॉलजों के कई विद्यार्थियों ने फीस कम करने की मांग को लेकर वाइस चांसलर का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया था. यह घेराव रात आठ बजे तक चला था.

आरोप है कि इसी दौरान कुछ बाहरी लोग अचानक वाइस चांसलर के कक्ष में घुसे और आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं को मारपीट कर बाहर निकाला. आंदोलनकारी बीएड विद्यार्थियों का आरोप है कि मारपीट की घटना के पीछे तृणमूल छात्र परिषद के समर्थक हैं. हालांकि जिला तृणमूल छात्र परिषद के अध्यक्ष प्रसेनजीत दास ने इस आरोप को खारिज कर दिया है.

शुक्रवार को आंदोलनकर छात्र-छात्राओं ने बताया कि गौड़बंग विश्वविद्यालय की मेधा सूची में आने के बाद भी विभिन्न बीएड कॉलेजों के प्रबंधन ने छात्र-छात्राओं से एक लाख 45 हजार रुपये वसूले. बाद में देखा गया कि कई छात्र-छात्राओं का दाखिला कम पैसे में भी हो गया. कोई एक लाख रुपये, तो कोई 90 हजार रुपये देकर बीएड कर रहा है. आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं का कहना है कि हम इसका विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को वाइस चांसलर के पास जाकर हमने इसकी शिकायत की.
छात्र-छात्राओं का यह भी आरोप है कि गौड़बंग विश्वविद्यालय ने बीएड में दाखिले के समय पहले साल 75 हजार रुपये और इसके बाद के साल में 25 हजार रुपये फीस होने की बात कही थी. लेकिन बाद में विश्वविद्यालय की ओर से एक नोटिस देकर कहा गया कि बीएड के सभी विद्यार्थियों को एक लाख 45 हजार रुपये देने होंगे. हमें यह समझ नहीं पा रहे हैं कि एक बार विश्वविद्यालय कम फीस मांगता है और एक बार ज्यादा. आखिर छात्र-छात्राओं के साथ आंखमिचौनी का यह खेल क्यों? वाइस चांसलर ने हम लोगों को साफ कह दिया है कि वह फीस कम नहीं कर पायेंगे. यह उच्च शिक्षा विभाग का निर्देश है. लेकिन वह इस सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि कई छात्र-छात्राओं को 90 हजार रुपये अथवा एक लाख रुपये में दाखिला कैसे मिल गया. उल्टे बाहरी लोगों ने विश्वविद्यालय के कक्ष में हमारे साथ मारपीट करके हमें बाहर निकाल दिया. आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं ने बताया कि इस बारे में हम अपनी लिखित शिकायत उच्च शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के पास भेज रहे हैं.
इस बारे में वाइस चांसलर ने कहा, फीस घटाना या बढ़ाना हमारे हाथ में नहीं है. बीएड दो साल का कोर्स है. राज्य सरकार ने इसके लिए एक लाख 45 हजार रुपये फीस तय कर दी है. उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार ही हमने सभी बीएड कॉलेजों को फीस लेने को कहा. बाद में कम फीस पर छात्र-छात्राओं के दाखिले की बात की जा रही है, लेकिन कोई इसका प्रमाण नहीं दे पा रहा है. इसके बावजूद छात्र-छात्राओं की फीस कम करने की मांग युक्तिसंगत है.

हमने इस मामले को लेकर आगामी 21 जून को सभी बीएड कॉलेजों के मालिकों की बैठक बुलायी है. हालांकि वाइस चांसलर ने यह भी स्पष्ट किया कि बीएड की फीस किसी तरह से भी कम नहीं हो पायेगी. उन्होंने कहा कि गुरुवार को मेरे कक्ष में कुछ बाहरी लोगों ने घुसकर तोड़फोड़ की. इस बारे में इंगलिशबाजार थाने में शिकायत दर्ज करायी गयी है.

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