श्री भट्टाचार्य ने कहा कि मालदा में रोगी कल्याण समिति का चेयरमैन इंगलिश बाजार सीट से चुनाव हारने वाले तृणमूल उम्मीदवार तथा पूर्व मंत्री कृष्णेन्दु चौधरी को बनाया गया है. इसी तरह से बालुरघाट में शंकर चक्रवर्ती तथा दार्जिलिंग में शांता छेत्री जैसे हारे हुए तृणमूल उम्मीदवारों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. यह एक अच्छी परंपरा नहीं है. सिर्फ इतना ही नहीं, आदिवासियों के कल्याण के लिए गठित टास्क फोर्स का चेयरमैन भी किसी जनप्रतिनिधि को नहीं बनाया गया है. इस टास्क फोर्स के चेयरमैन आदिवासी विकास परिषद के नेता बिरसा तिरकी हैं. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि आम तौर पर महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर जीते हुए विधायकों को ही जिम्मेदारी मिलनी चाहिए. इसमें राज्य सरकार को सत्तारूढ़ अथवा विरोधी दलों में फर्क नहीं करना चाहिए.
वह वाम मोरचा सरकार में 20 वर्षों तक मंत्री थे और वह राज्य सरकार को अपना अनुभव देने के लिए तैयार हैं. राज्य सरकार यदि उनसे परामर्श लेती है, तो इससे सरकार का ही नाम होगा. सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकारण (एसजेडीए) के चेयरमैन बनाने संबंधी एक प्रश्न के उत्तर में भी भट्टाचार्य ने कहा कि यहां भी ममता बनर्जी यदि किसी हारे हुए तृणमूल उम्मीदवार को चेयरमैन बना दें तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. वाम मोरचा सरकार में वह जब एसजेडीए के चेयरमैन थे तब बोर्ड में सिलीगुड़ी नगर निगम तथा सिलीगुड़ी महकमा परिषद के प्रतिनिधियों सहित सिलीगुड़ी तथा जलपाईगुड़ी इलाके के विधायकों को जगह दी जाती थी. राज्य की वर्तमान तृणमूल सरकार ऐसा कुछ भी नहीं कर रही है. इन्होंने एसजेडीए के लिए एक परामर्श समिति का भी गठन किया था जिसमें नगर निगम के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता था. ममता बनर्जी सरकार ने इससे पहले एसजेडीए बोर्ड में नगर निगम के किसी भी प्रतिनिधि को जगह नहीं दी. लोकतंत्र के लिए यह कोई शुभ संकेत नहीं है.
श्री भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि विरोधी दलों के अधीन स्थित नगरपालिकाओं तथा महकमा परिषद एवं ग्राम पंचायतों को राज्य सरकार सहायता नहीं दे रही है. मुख्यमंत्री को इस मामले में उदारता का परिचय देना चाहिए. पूरे राज्य में तृणमूल कांग्रेस की भारी जीत हुई है. इसके अलावा अधिकांश नगरपालिकाओं तथा ग्राम पंचायतों पर भी तृणमूल कांग्रेस का ही कब्जा है. सिलीगुड़ी नगर निगम तथा महकमा परिषद जैसे इक्के-दुक्के स्थानों पर ही विरोधी दलों का कब्जा है. ममता बनर्जी जैसे अपनी पार्टी के अधीन नगरपालिकाओं एवं ग्राम पंचायतों को विकास के लिए धन मुहैया कराती हैं, उसी प्रकार से सिलीगुड़ी नगर निगम तथा सिलीगुड़ी महकमा परिषद को भी सहायता करनी चाहिए. इस मुद्दे को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक चिट्ठी भी लिखी है. इस पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने संवाददाताओं को जारी की. पत्र में अशोक भट्टाचार्य ने लिखा है कि पंचायतों तथा नगरपालिकाओं को शक्तिशाली करना बहुत जरूरी है. इससे लोकतंत्र को अधिक मजबूती मिलेगी.
पंचायत तथा नगरपालिका अपने दम पर विकास कार्योँ को अंजाम नहीं दे सकती. केन्द्र तथा राज्य सरकार की आर्थिक सहायता से ही यह दोनों संस्थाएं काम कर सकती हैं. राज्य सरकार विरोधी दलों के कब्जे वाले नगरपालिकाओं तथा ग्राम पंचायतों को धन देने से इंकार नहीं कर सकती. संविधान में इसका स्पष्ट उल्लेख है. राज्य वित्त आयोग तथा केन्द्रीय वित्त आयोग का गठन इसी के लिए किया गया है. ग्राम पंचायतों तथा नगरपालिकाओं को धन देने के लिए यह दोनों संवैधानिक संस्थाएं बाध्य हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा है कि राजनीतिक कारणों की वजह से सिलीगुड़ी नगर निगम तथा सिलीगुड़ी महकमा परिषद का विकास बाधित नहीं होना चाहिए. उन्होंने इस मामले में राजनीति से उठ कर इन दोनों संस्थाओं को आर्थिक सहायता देने की अपील मुख्यमंत्री से की है.