सिलीगुड़ी: अगले पांच वर्षों तक सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में विकास का काम कम होगा. इस बात का संकेत नव नियुक्त उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने दिया है. उन्होंने कहा कि वे विवादों में पड़ना नहीं चाहते हैं. कार्य करने के लिये मुख्यमंत्री ने उन्हें जिम्मेदारी दी है. उनके विश्वास पर खरा उतरने की वे भरसक कोशिश करेंगे. अगले पांच वर्षों का रोड मैप तैयार करने के लिये वह बुधवार को राज्य मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में सातों जिलों के जिला शासक व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे.
सिलीगुड़ी नगर निगम पर वाम मोरचा के कब्जे के बाद उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगता रहा है. वाम मोरचा बोर्ड मेयर अशोक भट्टाचार्य बारबार तत्कालीन उत्तर बंगाल विकास मंत्री मंत्री गौतम देव पर निगम के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप करने और सहयोग नहीं करने का आरोप लगाते आये हैं. अब भले ही गौतम देव इस मंत्रालय में नहीं हैं, लेकिन यह स्थिति आगे भी बने रहने की संभावना है.
इस बार भी उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय बनाम सिलीगुड़ी नगर निगम की दिलचस्प लड़ाई देखने को मिलेगी. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय को निगम के साथ सामंजस्य बना कर कार्य करना होगा. मेयर ने इस संबध में मंत्री से मुलाकात करने की भी बात कही है. इस संबध में उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने कहा कि मुलाकात करने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन एनबीडीडी के पूर्व मंत्री के साथ मेयर का इतिहास काफी विवादास्पद रहा है. गौतम देव के हस्तक्षेप को जायज ठहराते हुए मंत्री श्री घोष ने कहा कि सिलीगुड़ी नगर निगम विकास के मामले में फेल साबित हुआ है. सिलीगुड़ी के विकास के लिए उन्हें मंत्री का सम्मान करना चाहिए ना कि उन पर सवाल खड़े करने चाहिए. अगले पांच साल यह लड़ाई जारी रखने का संकेत देते हुए उन्होंने साफ कहा कि उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय को विकास के लिये किसी से प्रस्ताव और बात करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बातों से विवाद बढ़ता है. वह किसी भी क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं. फिर भी परियोजनाओं के शिलान्यास व उद्घाटन कार्यक्रम में स्थानीय नेताओं को साथ रखा जायेगा. जहां तक नगर निगम इलाके में कार्य करने का सवाल है तो नगर निगम या नगर पालिका को एक फंड देने का प्रावधान है, लेकिन ग्रामीण इलाको के विकास के लिये इस तरह का कोई पैकेज नहीं आता है. ग्रामीण इलाकों का विकास प्राथमिकता के साथ किया जायेगा.
अपनी ही बातों में उलझे रहे मंत्री
सिलीगुड़ी नगर निगम और पहाड़ पर विकास के लिये उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष की कथनी में काफी फर्क नजर आया. एक तरफ उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय को विकास कार्य करने के लिये किसी से पूछने या प्रस्ताव लेने की जरूरत नहीं है. वहीं पहाड़ के संबध में उन्होंने कुछ अलग बयान दिया. पहाड़ के विकास को लेकर उनकी रणनीति के संबध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पहाड़ पर विकास करने के लिये गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन(जीटीए) है. जीटीए की ओर से प्रस्ताव मिलने पर मंत्रालय उस पर विचार करेगी. प्रस्ताव की स्वीकृति जीटीए के आय, ब्यय तथा मंत्रालय की आर्थिक स्थिति पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षो में उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय ने जीटीए इलाके में काफी विकास किया है. एक वर्ष पहले मंत्रालय ने जीटीए इलाके में तीन रास्ते का निर्माण कार्य हाथ में लिया था. करीब-करीब काम होने के बाद जीटीए की ओर से अदालत में मामला दायर कर एक विवाद खड़ा कर दिया गया है. वे निजी तौर पर किसी विवाद में पड़ना नहीं चाहते हैं.
अगले वर्ष से विकास में रफ्तार
मंगलवार को उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव प्रक्रिया और वर्षा की वजह से सात महीना बर्बाद हो गया है. अगले वित्तीय वर्ष से मंत्रालय के विकास कार्यों में तेजी आयेगी. श्री घोष ने कहा कि पिछला तीन महीना चुनाव में उलझा रहा और आगामी तीन माह बरसात का मौसम है. इस समय कार्य शुरू नहीं हो सकता. इसके अलावे मंत्रालय के पूर्व मंत्री ने 95 प्रतिशत कार्य समाप्त कर दिया है. स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों आदि से मिले तथ्यों के आधार पर नयी परियोजनाओं का काम शुरू किया जायेगा. बुधवार को सातों जिलों के जिला शासक के साथ इसी को लेकर बैठक बुलायी गयी है. टेंडर प्रक्रिया सहित कइ औपचारिकताओं को पूरा कर नयी परियोजनाओं का कार्य शुरू करने चार महीने का समय लगेगा.
लटकी हुई हैं कई परियोजनाएं
उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय की कइ परियोजनाएं लटकी हुयी हैं. श्री घोष के अनुसार मंत्रालय के पूर्व मंत्री गौतम देव ने कुल 1125 परियोजनाओं को हाथ में लिया था. जिसमें से 892 परियोजनाएं समाप्त हो चुकी है जबकि 233 परियोजनाओं का कार्य जारी है. इनमें से कई परियोजनाएं विवादों में है. फांसीदेवा इलाके में चार करोड़ के पेयजल परियोजना पर विवाद है. एक स्थानीय निवासी ने इस परियोजना के लिये जमीन स्वेच्छा से दी थी, जिसका सबूत है. अब वहीं जमीन मालिक जमीन की कीमत को लेकर विवाद खड़ा कर रहा है. मंत्री ने बताया कि इस परियोजना से दस हजार लोगों को रोजाना 70 लीटर पेयजल मुहैया कराना संभव हो सकेगा. इसके अतिरिक्त जलपाईगुड़ी में एक कैनल का कार्य इसी तरह के विवादों में घिरा है. कुछ स्थानीय लोगों ने वेस्ट जमीन पर दावा कर अडंगा लगा दिया है. करीब सौ करोड़ की ऐसी ही 12 परियोजनाएं रूकी हुयी है.