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सिलीगुड़ी जिला अस्पताल की बदहाली जारी

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी सदर अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर भले ही जिला अस्पताल कर दिया गया हो और बड़े भवन बना दिये गये हों, लेकिन आम मरीजों को चिकित्सा के लिए अभी भी मारे-मारे फिरना पड़ता है. डॉक्टरों तथा नर्सों के नियमित रूप से अस्पताल में नहीं रहने तथा मरीजों की चिकित्सा सही तरीके से नहीं करने […]

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी सदर अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर भले ही जिला अस्पताल कर दिया गया हो और बड़े भवन बना दिये गये हों, लेकिन आम मरीजों को चिकित्सा के लिए अभी भी मारे-मारे फिरना पड़ता है. डॉक्टरों तथा नर्सों के नियमित रूप से अस्पताल में नहीं रहने तथा मरीजों की चिकित्सा सही तरीके से नहीं करने के तमाम आरोप अस्पताल प्रबंधन पर लगते रहे हैं. इसके अलावा सिलीगुड़ी सदर अस्पताल में रोगियों को मेडिकल रेफर करने की प्रवृत्त भी लगातार बढ़ती जा रही है.

रोगियों तथा उनके परिजनों का आरोप है कि यहां उचित चिकित्सा न कर रोगियों को तत्काल ही मेडिकल कॉलेज भेज दिया जाता है. इससे काफी परेशानी होती है. कुछ इसी तरह का मामला आज भी देखने को मिला है. आरोप है कि स्लाइन नहीं मिलने की वजह से एक रोगी को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. डॉक्टरों का कहना था कि अस्पताल में स्लाइन की व्यवस्था नहीं है और इसके लिए रोगी को मेडिकल कॉलेज ले जाना अनिवार्य है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाड़ीभाषा के मानसिक रूप से बीमार 22 वर्षीय ओपू चक्रवर्ती को छाती तथा पेट में दर्द की शिकायत के बाद मंगलवार की सुबह को ही सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भरती कराया गया है. वह मेल मेडिकल वार्ड के 10 नंबर बेड पर भरती है. उसकी मां रीना चक्रवर्ती का कहना है कि भरती के बाद ही डॉक्टरों ने अस्पताल में स्लाइन नहीं होने की बात कह कर रोगी को मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए कहा. मानसिक रूप से बीमार होने की वजह से रोगी ओपू चक्रवर्ती को मेडिकल कॉलेज ले जाने में परेशानी होती. रीना चक्रवर्ती ने इस बात की जानकारी मानसिक रूप से बीमार बच्चों के लिए काम कर रहे एक स्वयंसेवी संगठन अनुभव के प्रदीप कुमार दासगुप्ता को दी. श्री गुप्ता खबर मिलते ही अस्पताल पहुंचे.

उन्होंने डॉक्टरों पर चिकित्सा में लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी को जिला अस्पताल का दर्जा प्राप्त है और यहां स्लाइन तक की व्यवस्था नहीं है. मामूली स्लाइन के लिए मानसिक रूप से बीमार एक गरीब मरीज को मेडिकल रेफर कर दिया गया. मरीज का पिता नहीं है. मां रीना चक्रवर्ती बाड़ीभाषा से मेडिकल किस प्रकार से आवाजाही कर सकती है. श्री दास गुप्ता ने अस्पताल प्रबंधन से बातचीत की और अपना विरोध दर्ज कराया.

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