सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी शहर सुपारी तस्करों का स्वर्ग बन गया है. इस शहर से हर दिन ही करीब 11 करोड़ रूपये की गैरकानूनी सुपारी को रोजाना दूसरे स्थानों पर भेजा जाता है. वर्मा से चलनेवाली इस सुपारी को सीधे महाराष्ट्र के नागपुर स्थित एक गुटखा कंपनी भेज दिया जाजा है.
कस्टम विभाग को इसकी जानकारी नहीं है या फिर विभागीय अधिकारी जानकर भी अनजान बने हुए हैं, यह एक बड़ा सवाल है. सुपारी की तस्करी करने वालों पर लगाम लगाने के लिये पहले कई अभियान चलाये गये लेकिन अब वैसा कुछ नहीं दिख रहा है. कानून की नाक के नीचे से तस्कर बड़ी ही आसानी से प्रतिदिन सुपारी को सिलीगुड़ी के पार पहुंचा रहे हैं. सुपारी तस्कर गिरोह के साथ सिलीगुड़ी के कइ बड़े व्यवसायी और नेताओं के तार जुड़े होने की संभावना भी ब्यक्त की जा रही है.
मिली जानकारी के अनुसार एक किलो सुपारी की कीमत 80 रूपया है. एक बोरे में 200 किलो के करीब सुपारी होता है. इस आधार पर एक बोरे सुपारी की कीमत 16 हजार के करीब है. गौरतलब है कि प्रतिदिन 6 से 7 हजार बोरी सुपारी की तस्करी हो रही है. बारह चक्के के 15 से 20 ट्रक सिलीगुड़ी से होकर गुजर रहे हैं.
सूत्रों की माने तो यह सुपारी वर्मा से असम पहुंचाया जाता है. फिर असम से फालाकाटा के रास्ते न्यू-जलपाईगुड़ी, फूलबाड़ी टोल नाका से गणतब्य की ओर भेज दिया जाता है. सूत्रों के अनुसार इन सुपारी को महाराष्ट्र के नागपुर स्थित एक गुटखा कंपनी तक पहुंचाया जाता है. इस प्रकार से सुपारी की तस्करी में यहां के तीन व्यवसायियों का नाम सामने आया है.
इनमें से एक सिलीगुड़ी का रहने वाला है,जबकि दो का घर नक्सलबाड़ी में है. इन दोनो में से एक का नक्सलबाड़ी में पेट्रोल पंप भी है. इसके साथ सिलीगुड़ी नगर निगम के एक वार्ड पार्षद के भी मिलीभगत होने की बात सामने आ रही है. जानकारी के मुताबिक ट्रक में सुपारी का कोई कागजात मौजूद नहीं होता. हांलाकि टोल नाका पर बकायदा कर अदा किया जाता है. आज से करीब एक महीने पहले फूलबाड़ी इलाके में सुपारी से लदे दो ट्रक को कस्टम ने जब्त किया था लेकिन इसके बाद फिर से अधिकारी कानों में तेल डालकर बैठे हैं. इस संबध में किसी भी अधिकारी के साथ संपर्क नहीं हो पाया है.