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हार के बाद नहीं थम रही दार्जिलिंग तृणमूल में कलह

सिलीगुड़ी. बाइचुंग भूटिया के बाद अब माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी सीट के तृणमूल उम्मीदवार अमर सिन्हा ने जिला नेतृत्व के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. वे भी चुनाव परिणाम की समीक्षा कर रहे है. बाइचुंग की तरह वे भी एक रिपोर्ट तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को सौंपने की तैयारी में हैं. दार्जिलिंग और मालदा जिलों में एक भी […]

सिलीगुड़ी. बाइचुंग भूटिया के बाद अब माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी सीट के तृणमूल उम्मीदवार अमर सिन्हा ने जिला नेतृत्व के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. वे भी चुनाव परिणाम की समीक्षा कर रहे है. बाइचुंग की तरह वे भी एक रिपोर्ट तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को सौंपने की तैयारी में हैं.

दार्जिलिंग और मालदा जिलों में एक भी सीट ना मिलने से तृणमूल पहले से चितिंत है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दार्जिलिंग जिला तृणमूल नेतृत्व पर दीदी का कहर टूटने के बस चंद दिन ही बचे हैं. दीदी सिलीगुड़ी आकर जिला नेतृत्व में भारी फेरबदल करने का मन बना चुकी हैं. गाज किस पर गिरेगी यह देखना दिलचस्प होगा. अमर सिन्हा से बात करने पर उन्होंने कहा कि उनको हराने में तृणमूल के जिला नेतृत्व की बड़ी भूमिका है. उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होते ही जिला तृणमूल में गुटबाजी शुरू हो गयी थी. यही गुटबाजी इस परिणाम का असली जिम्मेदार है.

माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी केंद्र के तृणमूल बहुल इलाके में भी तृणमूल को वोट नहीं मिला. यहां तक कि ब्लॉक अध्यक्ष, अंचल अध्यक्ष के इलाके के साथ पंचायत सदस्यों के इलाके में भी तृणमूल को पहले से काफी कम वोट मिला है. विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि नक्सलबाड़ी ब्लॉक के तृणमूल अध्यक्ष के इलाके, नक्सलबाड़ी ब्लॉक-2, पंचायत सदस्यों आदि के इलाकों में तृणमूल को काफी कम वोट मिला है. पिछले सिलीगुड़ी महकमा परिषद चुनाव में जिन इलाकों में तृणमूल को काफी बढ़त मिली थी, वहां भी तृणमूल का जनाधार कम हुआ है. महकमा चुनाव में तृणमूल के विजयी पंचायत सदस्यों को जितने वोट मिले थे, उन इलाको में उससे 200 के करीब वोट कम हुआ है.

इसका कारण पूछने पर श्री सिन्हा ने बताया कि उम्मीदवार सूची में उनका नाम घोषित होते ही अंतर्द्वंद शुरू हो गया था. इसका जीता-जागता प्रमाण गौतम किर्तनिया हैं जो मेरी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद निर्दलीय खड़े हो गये. इसके अतिरिक्त जिला नेतृत्व की ओर से भी समर्थन नहीं मिला. जिले की कई बड़ी हस्तियां स्वंय इस सीट से खड़ा होना चाहती थीं. मेरा उम्मीदवार बनना जिला नेतृत्व के गले नहीं उतर रहा था. मेरी विजय इस सीट पर खड़े होने की चाह रखनेवालों का रास्ता हमेशा के लिए बंद कर देती.

इसी वजह से एक रणनीति के तहत मुझे हराया गया है. उन्होंने कहा कि बाइचुंग की तरह वह भी एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं जिसे वह स्वयं तृणमूल सुप्रीमो को सौपेंगे.उल्लेखनीय है कि मतदान से पहले माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी विधानसभा सीट काफी दिलचस्प हो उठी था. तृणमूल से उम्मीदवारी ना मिलने से बागी हुए गौतम किर्तनिया निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे. उनका दावा था कि वे अवश्य जीतेंगे. उनका कहना था कि शंकर मालाकार जैसे भारीभरकम नेता के सामने अमर सिन्हा एक कमजोर प्रतिद्वंद्वी हैं.

अमर सिन्हा को खड़ा कर जिला नेतृत्व ने बड़ी भूल की है. हालांकि चुनाव परिणाम ने गौतम किर्तनिया को कहीं का नहीं छोड़ा. उनसे अधिक तो नोटा को वोट मिला है. दार्जिलिंग जिले की माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी विधानसभा सीट पर माकपा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार शंकर मालाकार निर्वाचित विधायक बने. 86 हजार 441 वोट पाकर उन्होंने इस सीट पर फिर से अपना दबदबा बनाये रखा. वहीं तृणमूल उम्मीदवार अमर सिन्हा 18627 वोटों से हार गये. शंकर मालाकार के मुकाबले उन्हें 67 हजार 814 वोट मिले, जबकि भाजपा के आनंदमय वर्मन को भी 44 हजार 625 वोट मिले.

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