17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आज से नामांकन फार्म वितरण

– रीता दास – सूर्यसेन कॉलेज में छात्र संघ के चुनाव की तैयारी, चुनाव से पहले छात्रों से विचार नहीं सिलीगुड़ी : दो साल से कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्र चुनाव का इंतजार कर रहे थे. राज्य सरकार की ओर से गत वर्ष चुनाव आयोजित नहीं किया गया. अब चुनाव का बिगुल बज चुका है. […]

– रीता दास –

सूर्यसेन कॉलेज में छात्र संघ के चुनाव की तैयारी, चुनाव से पहले छात्रों से विचार नहीं

सिलीगुड़ी : दो साल से कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्र चुनाव का इंतजार कर रहे थे. राज्य सरकार की ओर से गत वर्ष चुनाव आयोजित नहीं किया गया. अब चुनाव का बिगुल बज चुका है. सूर्यसेन कॉलेज में चुनाव की तैयारियां हो रही हैं.

कल से नामांकन पत्र वितरण होगा. चुनाव को देख कर शिक्षण संस्थान, समाज व छात्रों के अभिभावक यही सोचते हैं, आखिर कॉलेज में यह चुनाव क्यों हो रहा है. मीडिया के माध्यम से अपने बेटे-बेटियों को पीटे जाने पर वे आहत हैं. चुनाव में छात्रों की जो समस्या है, उसके विषय में तृणमूल छात्र परिषद, छात्र परिषद, एसएफआई, आयसा, डीएसओ हो या अन्य कोई पार्टी, साधारण छात्रों से विचार-विमर्श नहीं किया.

जेएनयू, दिल्ली यूनिवर्सिटी आदि में चुनाव से पहले छात्रों के साथ विचार-विमर्श होता है, लेकिन अभी तक पश्चिम बंगाल में यह संस्कृति देखने को नहीं मिली. सिलीगुड़ी कॉलेज में नौ फरवरी को एसएफआइ के दो समर्थकों की जमकर धुनाई हुई. आखिर ऐसी व्यवस्था से किसे फायदा होगा? फायदा तो बस एक ही को फिलहाल हो रहा है. वह है, राजनीतिक पार्टियों का. जो कैंपस के बाहर, अपनी चाल चलते हैं और मोहरे की तरह छात्रों का इस्तमाल करते हैं.

छात्र संसद चुनाव में हमेशा से शासक दल हस्तक्षेप करता आया है. इस कारण यह चुनाव स्वच्छ रूप से नहीं होता. प्राचार्य व शिक्षक अपने हित के लिए शासक दल के इशारे पर काम करते हैं. पहले जो काम वाम मोरचा के समय एसफआइ करता था. विरोधियों को यूनिट खोलने नहीं दिया जाता था.

उसे मारा जाता था. वहीं काम तृणमूल कर रही है. नौ फरवरी को जो हुआ, वह ‘रिवेंज पोलिटिक्स’ का उदाहरण है. एसएफआइ को अपने अतीत में झांकना चाहिए. छात्र परिषद में 27 साल से ऊपर छात्र राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करते.

लेकिन बाकी दूसरे दलों में 30 से 45 साल के युवा कैंपस में आकर राजनीति कर रहें है. यहां तक जिसने कॉलेज और विश्वविद्यालय में कदम नहीं रखा, वें भी हंगामा कर रहें है.

– अभिजीत राय चौधरी, अध्यक्ष, दार्जिलिंग जिला लोकसभा क्षेत्र युवा कांग्रेस

पश्चिम बंगाल में परिवर्त्तन की सरकार नहीं, गुंडा की सरकार है. जो मसल पावर के दम पर राजनीति करती है. जनता ने हमें सात बार सत्ता पर बिठाया. हमने गलत किया, तो हमें सत्ता से उठाया भी. लेकिन जो तृणमूल सरकार कर रही है, उसे जनता पसंद नहीं कर रही है. उसे जल्द उसका जवाब मिलेगा.

जहां तक बात है वाम के समय विरोधियों के साथ मारपीट करने का उनके लिए मैं कहना चाहूंगा कि सन् 84 से 91 तक सिलीगुड़ी कॉलेज में छात्र परिषद का कब्जा रहा. सिलीगुड़ी कामर्स कॉलेज में एकछत्र छात्र परिषद का राज है. यूनिवर्सिटी में भी केवल एसएफआइ का ही कब्जा नहीं रहा.

सबकुछ संगठन पर निर्भर है. जो भी अन्याय की पुनरावृत्ति उचित नहीं! सिलीगुड़ी कॉलेज में जिसतरह से एसएफआई छात्रों को मारा-पीटा गया, उसे देखकर हम यहां उम्मीदवार न खड़ा करने का निर्णय लिया है. कारण छह माह पहले अपने एक साथ अमीत दे की मां को एक दिन के वियोग में प्राण त्यागते देखा है.

छात्र संसद की राजनीति में हम किसी के बेटे-बेटी की जान को जाखिम में नहीं रखना चाहते. पुलिस प्रशासन भी शासक दल के इशारे पर काम कर रही है. पहले चुनाव के दौरान 100-200 पुलिस रहते थें. रैफ के जवान तैनात रहते है. अभी दो-चार से काम चलाया जाता. उन्होंने कहा कि पूर्व सीपी जयरमण की कमी उन्हें जरूर खल रही है.

– शंकर घोष, जिला सचिव, वाममोरचा समर्थक डीवाइएफआइ

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें