अब तक मात्र 204 ही बनाये गये है. अभी भी 66 बीओपी बनाने है, जिसमें जमीन का ना मिलना एक गंभीर समस्या है. उन्होंने बताया कि परत्येक 3.20 किलोमीटर की दूरी पर बीओपी बनाया जाना है. बीओपी बनाने के लिये स्थान की पहचान कर ली गयी है़ उसके बाद भी राज्य सरकार जमीन मुहैया नहीं करा रही है. जमीन की यह समस्या भारत में सिर्फ राज्य में है़.
Advertisement
जमीन नहीं मिलने से बीओपी बनाने का काम अटका
सिलीगुड़ी. विधानसभा चुनाव जारी रहने के बीच सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) ने वर्तमान राज्य सरकार जमीन मुहैया नहीं करने का आरोप लगाया है. आरोप है कि राज्य सरकार उत्तर बंगाल में बोर्डर आउट पोस्ट(बीओपी) के लिये जमीन नहीं दे रही है. जिसकी वजह से सीमा सुरक्षा में काफी परेशानियों का सामना करना पर रहा है. उल्लेखनीय […]
सिलीगुड़ी. विधानसभा चुनाव जारी रहने के बीच सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) ने वर्तमान राज्य सरकार जमीन मुहैया नहीं करने का आरोप लगाया है. आरोप है कि राज्य सरकार उत्तर बंगाल में बोर्डर आउट पोस्ट(बीओपी) के लिये जमीन नहीं दे रही है. जिसकी वजह से सीमा सुरक्षा में काफी परेशानियों का सामना करना पर रहा है. उल्लेखनीय है कि बीएसएफ के महानिदेशक के.के.शर्मा उत्तर बंगाल के दौरे पर थे. महानिदेशक का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने पहली बार उत्तर बंगाल का दौरा किया. सिलीगुड़ी से सटे कदमतला स्थित बीएसएफ के उत्तर बंगाल जोनल कार्यालय में उन्होंने कुछ अहम बैठकें भी की.पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि उत्तर बंगाल में 270 से भी अधिक बीओपी बनाने की योजना है.
बाघा बोर्डर की तरह होगा जश्न
भारत-पाकिस्तान के बीच बाघा बोर्डर पर जिस तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं उसी प्रकार के कार्यक्रम भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी आयोजित करने की योजना पर विचार हो रहा है़ उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल से सटे भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के लिये गृहमंत्रालय से विचार-विमर्श किया जा रहा है. इसके लिये पड़ोसी देश की सहमति की भी आवश्यकता होती है.उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी जवानों के साथ भारतीय सुरक्षा बलों के रिश्ते काफी मित्रतापूर्ण हैं. वर्ष में दो बार महानिदेशक स्तर पर विचार-विमर्श होता है. उसके अतिरिक्त मधुर संबध को बनाये रखने के लिये बीच-बीच में कई तरह से कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं. खेल व सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. उन्होंने कहा कि नियमानुसार जीरो लाइन से 150 यार्ड्स के बीच दोनों ओर कोई भी निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकता. लेकिन गांव या चाय बागान स्थित होने की स्थिति में विचार-विमर्श के द्वारा समस्या का हल निकाल जाता है. इसके लिये गृह मंत्रालय से बस्ती को ना उजाड़कर सामंजस्य स्थापित करने पर विचार-विमर्श किया जाता है. उन्होंने कहा कि 100 में से 90 मामलों में बस्ती या बागानों को नहीं हटाया गया.
सुरक्षा में तकनीक का होगा इस्तेमाल
उत्तर बंगाल में भारत बांग्लादेश सीमांत इलाकों में कई ऐसे स्थान हैं जहां किसी भी प्रकार की कोई घेराबंदी नहीं की गयी है. घेराबंदी की समस्या नदी, नालों की वजह से ही उत्पन्न होती है. मालदा में एक किलोमीटर से अधिक का सीमांत खुला है. नदी, नालों का फायदा उठाकर तस्कर आसानी से इस पार से उस पार आते-जाते हैं. इस संबध में श्री शर्मा ने कहा कि नदी या नालों के उपर फेसिंग करना काफी मुश्किल है. फिर भी गृह मंत्रालय से बातचीत की जा रही है. ऐसे सीमांत इलाकों में तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा. सुरक्षा कारणों की वजह से उन्होंने विस्तृत जानकारी नहीं दी. उन्होंने कहा कि सख्ती बरतने पर मवेशी, मानव व मादक पदार्थों की तस्करी पर काफी दह तक लगाम लगाया गया है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement