राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा इस सीट पर कुछ आस नहीं कर सकेगी. यहां मुख्य रूप से ममता राय और मिताली राय के बीच ही जंग होगी. यहां सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि जो सात उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, उन सभी के नाम का सरनेम राय है. तृणमूल कांग्रेस की मिताली राय वर्ष 2011 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ी थीं. तब वह करीब चार प्रतिशत मत लाने में कामयाब रही थी. पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी की वह पसंद मानी जा रही हैं. शुरू में कुछ स्थानीय नेताओं ने उनके नाम पर थोड़ा विरोध किया, लेकिन एक बार ममता बनर्जी की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद किसी की एक नहीं चली. धूपगुड़ी विधानसभा सीट का गठन बानरहाट-1, बारोघड़िया, गधेरकुची, गादोंग-1 तथा 2, झरलता ग्राम-1 तथा 2, मांगुरमारी-1 तथा 2, सकियाझोड़ा-2, सालबाड़ी-1 तथा 2, धूपगुड़ी-1 तथा 2 ग्राम पंचायत एवं धूपगुड़ी ब्लॉक को लेकर हुआ है. यह सीट माकपा की परंपरागत सीट रही है. 1977 से लेकर 2011 तक इस सीट से माकपा उम्मीदवारों ने ही जीत हासिल की है. वर्ष 2011 के ममता की आंधी में भी माकपा यह सीट बचाने में कामयाब रही थी. माकपा की ममता राय ने तृणमूल कांग्रेस की मीना बर्मन को करीब तीन हजार मतों से हरा दिया था.
ममता राय जहां 13 हजार 644 वोट पाने में कामयाब रही थी, वहीं मीना बर्मन को 69 हजार 406 वोट से ही संतोष करना पड़ा था. भाजपा के अमरचंद सरकार तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बीच, धूपगुड़ी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार जोर-शोर से जारी है. चुनाव प्रचार को देखकर ही ऐसा लगता है कि यहां मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस तथा कांग्रेस के बीच ही है. माकपा की ममता राय को इस बार कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है. वह लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने का दावा कर रही हैं. वहीं तृणमूल उम्मीदवार मिताली राय का कहना है कि इस बार के चुनाव में उन्हीं की जीत होगी. वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा किये गये विकास कार्यों को लेकर ही चुनाव लड़ रही हैं.