महानंदा मंडल ने कहा कि सिलीगुड़ी के कुछ समाजसेवी व व्यापारियों के साथ रविवार को उन्होंने एक बैठक की थी़ इसी बैठक में सभी ने उनसे चुनाव लड़ने का दबाव बनाया है़ महानंदा मंडल के चुनाव लड़ने की खबर से राजनीतिक हलकों में सरगर्मी का माहौल देखा जा रहा है.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सिलीगुड़ी विधानसभा सीट से फॉरवार्ड ब्लॉक नेता महानंदा मंडल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरते हैं तो इससे माकपा के हेवीवेट संभावित उम्मीदवार अशोक नारायण भट्टाचार्य पर सीधा असर पड़ेगा़ इसका फायदा तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार वाइचुंग भुटिया को मिलने की संभावना है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस चुनाव में महानंदा मंडल को जीत तो हासिल नहीं होगी,लेकिन वाम मोरचा के अधिकृत उम्मीदवार को नुकासन जरूर पहुंचा देंगे़ सिलीगुड़ी नगर निगम के पांच नंबर वार्ड के अलावा आसपा के इलाकों में उनका प्रभाव है़ सूत्रों का कहना है कि वाम मोरचा में अशोक भट्टाचार्य के विरोधियों की यह एक साजिश भी हो सकती है. अशोक के विरोधी महानंदा को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ा कर उनका वोट काटने की तैयारी में हैं. ऐसे में सबसे अधिक फायदा तृणमूल उम्मीदवार को मिल सकता है. सिलीगुड़ी विधानसभा सीट से माकपा के संभावित उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य एवं तृणमूल उम्मीदवार वाइचुंग भुटिया के बीच ही मुख्य मुकाबला होने की संभावना है.
इस संबध में महानंदा मंडल ने बताया कि राजनीतिक हिसाब किताब उन्हें पता नहीं है़ कोइ भी नेता जनता के समर्थन से ही जनता के लिये कार्य करता है. जाहिर है जनता का समर्थन उन्हें मिल रहा है और इसी वजह से वह चुनाव लड़ने को भी तैयार हैं. उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव लड़ना अभी पूरी तरह से तय नहीं है़ हांलाकि वह चुनाव लड़ने का मन जरूर बना रहे हैं. फॉरवार्ड ब्लॉक के आला नेताओं से उनकी इस विषय पर कोई बातचीत नहीं हुयी है.
गौरतलब है कि सिलीगुड़ी नगर निगम के पांच नंबर वार्ड स्थित रामघाट इलाके में सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण(एसजेडीए)की ओर से बिद्युत शवदाह चुल्हे के निमार्ण के विरोध में शुरू आंदोलन में महानंदा मंडल उभरकर सामने आये थे. आरोप है कि उस दौरान एसजेडीए के चेयरमैन व उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने महानंदा मंडल की पिटायी कर दी थी़ महानंदा कइ महीने तक जेल में भी थे़ बाद में रिहा होने पर वाम मोरचा की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया गया था. इसके बाद पिछले नगर निगम चुनाव के दौरान वह मंत्री गौतम देव के साथ निकटता बढ़ाने में लगे हुए थे. हांलाकि उसका कोइ लाभ उन्हें नहीं हुआ था़