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नौकाघाटः महानंदा नदी दखल करने वालों पर गिरी पुलिस की गाज

सिलीगुड़ी. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीते सात दिनों से सिलीगुड़ी से सटे नौकाघाट इलाके से बहनेवाली महानंदा नदी का किनारा दखल करनेवालों पर आखिरकार पुलिस की गाज शुक्रवार को गिरी. पिछले सात दिनों की तरह आज भी सुबह से ही नदी की सुखी पड़ी जमीन पर अतिक्रमणकारी अवैध रूप से दखल करने पर तत्पर […]

सिलीगुड़ी. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीते सात दिनों से सिलीगुड़ी से सटे नौकाघाट इलाके से बहनेवाली महानंदा नदी का किनारा दखल करनेवालों पर आखिरकार पुलिस की गाज शुक्रवार को गिरी. पिछले सात दिनों की तरह आज भी सुबह से ही नदी की सुखी पड़ी जमीन पर अतिक्रमणकारी अवैध रूप से दखल करने पर तत्पर थे.
जिसे जहां जमीन खाली नजर आया वहीं चार खूंटे गाड़े और रस्सी या साड़ी-चादर चारों ओर लपेट कर उसपर अपना हक जताने लगे. मीडिया में बार-बार खबर उजागर होने पर शासन-प्रशासन की नींद आज दोपहर करीब 1.30 बजे टूटी. सिंचाई विभाग के अधिकारी और सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के आलाधिकारी दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे. भारी संख्या में पुलिस को आते देख अतक्रिमणकारियों में भगदड़ मच गयी. मौके से कुल 17 अतिक्रमणकारी पुलिस के हत्थे चढ़े. इनमें महिलाओं की संख्या अधिक है. पुलिस अतिक्रमणकारियों को दौड़ा-दौड़ा कर गिरफ्तार किया.
ट्रक ऑनर वेलफेयर और ग्रामीणों ने भी किया सहयोग
पुलिस के इस मुहिम में नदी से बजड़ी (बालू-पत्थर) ढोने वाले वाहनों के संगठन ट्रक ऑनर वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों व नौकाघाट क्षेत्र के ग्रामीण युवाओं ने भी अतिक्रमण हटाने में पूरा सहयोग किया. संगठन के एडहॉक कमेटी के प्रभारी राजू दास का कहना है कि बीते सात दिनों से अचानक उत्तर बंगाल के प्रायः सभी जिलों से अतिक्रमणकारियों का हुजूम यहां उमड़ पड़ा है. इनका मनोबल इतना बढ़ गया कि ये लोग नदी से बजड़ी ढोने वाले वाहनों के रास्तों को भी दखल करने में तूले हैं. इस वजह से सात दिनों से अधिकांश वाहनें यूं ही खड़ी पड़ी है. एक वाहन बजड़ी ढोने पर प्रति ट्रिप सरकार को तीन सौ रूपये सरकार को देती है. इससे वाहन मालिकों व मजदूरों के साथ-साथ सरकार को भी भारी नुकसान हो रहा है.
क्या कहना है अधिकारी और मंत्री का
सिंचाई विभाग के अधिकारी समर सरकार ने अपनी सफाई में कहा कि नदी दखल की सूचना विभाग को कल मिली. खबर मिलने के साथ ही कल पुलिस के सहयोग से कई बार अतिक्रमणकारियों को चेतावनी दे दी गयी थी. वहीं उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि तणमूल नेताओं के इशारों पर ही नदी या फिर सरकारी खाली जमीन जबरन दखल होने की कोई जानकारी नहीं है. जमीन दखल बर्दाश्त नहीं की जायेगी. चाहे कोई भी हो.

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