जॉन के हरेक गतिविधियों की खबर रखनेवाले सूत्रों की माने तो एक खेमा प्रसेनजीत राय का है जो जॉन का दाहिना हाथ ही नहीं बल्कि जॉन का इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा करने में उसकी महत्त्वपूर्ण सहायता भी की. प्रसेनजीत पिछले 22 वर्षों से जॉन के छाया के रूप में हर सुख-दुख में साथ रहा है. साथ ही जॉन के गुट के 80 फीसदी लोग (अधिकांश श्रमिक) जॉन के बाद प्रसेनजीत को अपना नेता मानने लगे हैं और उसपर पूरा भरोसा भी करते हैं. उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव भी जॉन के बाद प्रसेनजीत को काफी मानते रहे हैं. वहीं, दूसरा खेमा देवाशीष प्रामाणिक का है जिसकी डाबग्राम-फूलबाड़ी क्षेत्र में काफी तूती बोलती है. वह जॉन का काफी करीबी होने के साथ-साथ गौतम देव का भी करीबी रहा है़ तीसरा खेमा जॉन के छोटे भाई व निगम क्षेत्र के पूर्व पार्षद जयदीप नंदी का है, जो तणमूल के कर्मठ नेता हैं. साथ ही बड़े भाई के कामों में भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हाथ बंटाते रहे हैं. वहीं, चौथा खेमा जॉन के एकलौते पुत्र राजा नंदी (22) का है. जो छोटी उम्र में ही बड़े सपने देखने लगा है.
अपने पिता का साम्राज्य वह खुद संभालेगा इसका एलान उसने तभी कर दिया था जब उसने अपने पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि भी नहीं दी थी. एक सप्ताह पहले यानी 19 फरवरी शुक्रवार को तड़के 3.45 बजे जॉन का भारत नगर स्थित अपने निज निवास पर अचानक ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो गयी थी. दोपहर को जब उसका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन होने के लिए किरण चंद श्मशान घाट में लाया गया,तभी से शुभचिंतकों को उसके उत्तराधिकारी की चिंता सताने लगी. इसी दौरान राजा ने अपनी इच्छा सार्वजनिक की थी. हालांकि अपने पिता के गुट में राजा की पकड़ कोई खास नहीं है फिर भी कुछ लोगों का मानविक प्यार उमर पड़ा है. ऐसे लोगों का कहना है कि देश का इतिहास गवाह है कि पिता के न रहने या साम्राज्य उनके द्वारा न संभाले जाने पर इसका अधिकार एक मात्र बड़े पुत्र को मिलता है.
दूसरी ओर मंत्री गौतम देव जल्द ही जॉन की खाली सिंहासन पर किसी दायित्ववान व्यक्ति को विराजमान करेंगे. हांलाकि चार नामों के सामने आने के बाद मंत्री भी असमंजस में पड़ गये हैं कि आखिर किस के नाम का एलान करें.