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बंगाल सफारी के हाथी सिर्फ दीदी को दिखाने के 10 दिन बाद ही चले गये हाथी

सिलीगुड़ी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उद्घाटन के 10 दिनों के भीतर ही सिलीगुड़ी के निकट बैकुंठपुर जंगल में बने बंगाल सफारी (नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनीमल्स पार्क) से दोनों हाथी चले गये हैं. इस वजह से सैलानी जंगल सफारी का लुत्फ नहीं उठा पा रहे हैं. यूं तो इस जंगल सफारी को घूमने के लिए हर […]

सिलीगुड़ी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा उद्घाटन के 10 दिनों के भीतर ही सिलीगुड़ी के निकट बैकुंठपुर जंगल में बने बंगाल सफारी (नॉर्थ बंगाल वाइल्ड एनीमल्स पार्क) से दोनों हाथी चले गये हैं. इस वजह से सैलानी जंगल सफारी का लुत्फ नहीं उठा पा रहे हैं. यूं तो इस जंगल सफारी को घूमने के लिए हर उम्र के सैलानी आ रहे हैं, लेकिन हाथियों के न होने की बात सुनकर निराश हो उठते हैं. हाथी देखने और उस पर चढ़कर जंगल घूमने की बच्चों की जिद के आगे मां-बाप खुद को असहाय पा रहे हैं. बच्चों में हिरण व पक्षियों को लेकर उतनी दिलचस्पी नहीं है, जितनी हाथियों को लेकर है.
अधिकतर सैलानी बैट्री चालित साउंड प्रूफ व वातानुकूलित बसों से जंगल सफारी नहीं घूमना चाहते. यहां उल्लेखनीय है कि बंगाल सफारी के प्रथम चरण का कार्य पूरा होने के बाद गत 21 जनवरी को दीदी ने खुद पूरे तामझाम के साथ इस बंगाल सफारी का उद्घाटन किया था. दीदी को दिखाने के लिए जल्दापाड़ा से दो कुनकी हाथियों को भी लाया गया था.

उद्घाटन समारोह में खुद ममता ने एलान किया था कि सैलानी यहां बसों के अलावा हाथियों पर चढ़कर भी जंगल सफारी का आनंद उठा सकेंगे. फिलहाल यहां जंगल में रखे गये एक गैंडे, 103 हिरणों, सांभर, कुछ पक्षियों के अलावा अन्य वन्य-प्राणियों को भी यहां जल्द लाने की बात ममता ने की थी. अन्य वन्य-प्राणी लाने की तो दूर की बात, दोनों हाथी ही 10 दिनों के अंदर गायब हो गये. अब आलम यह है कि हाथी से जंगल सफारी का लुत्फ उठाने की उत्सुकता के साथ यहां आ रहे सैलानी दीदी के उद्घाटन समारोह को लेकर ही सवाल उठाने लगे हैं. साथ ही विरोधियों ने इसे केवल दीदी का चुनावी हथकंडा करार दिया.

सप्ताहांत का मजा लेने के लिए अपने परिवार के साथ जंगल घूमने आये सिलीगुड़ी के शक्तिगढ़ निवासी जितेंद्र तिवारी उर्फ मुन्ना का कहना है कि जब हाथी यहां रखना ही नहीं था तो उद्घाटन समारोह में ही क्यों लाया गया. हाथी से जंगल सफारी घूमने की बात का मीडिया से काफी प्रचार-प्रसार किया गया. मुन्ना का कहना है कि यहां आकर हाथी न होने की बात सुनकर उसके दोनों बच्चे काफी नाराज हो उठे हैं और हाथी देखकर ही घर लौटने की जिद कर रहे हैं. बच्चों को बस से जंगल में जाकर हिरण, सांभर देखने की पेशकश की गयी, लेकिन वे हाथी पर चढ़कर ही जंगल घूमने पर अड़े हुए थे. वहीं, विरोधियों का कहना है कि ढांचागत संरचना के पूरा हुए बगैर ही पार्क का उद्घाटन करने का कोई औचित्य नहीं है. यह उद्घाटन केवल आगामी चुनाव को ध्यान में रखकर दीदी ने किया है.
क्या कहना है पार्क अधिकारी का
बंगाल सफारी के जू डायरेक्टर अरुण मुखर्जी का कहना है कि उद्घाटन समारोह के लिए दो कुनकी हाथियों को जल्दापाड़ा से लाया गया था. लेकिन हाथियों के रख-रखाव की यहां बुनियादी सुविधा न होने की वजह से ही दोनों हाथियों को वापस भेज दिया गया है. जैसे ही व्यवस्था पूरी कर ली जायेगी, यहां हाथियों को वापस लेकर आया जायेगा.

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