हालांकि कांग्रेस नेता भी अंदर ही अंदर गठबंधन चाहते हैं. यही वजह है कि कांग्रेस के तमाम नेता इन दिनों अपनी जनसभाओं में जहां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा पर हमले बोल रहे हैं, वही माकपा को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी उत्तर बंगाल के दौरे पर आये हुए थे. इस दौरान उन्होंने सिलीगुड़ी के निकट बागडोगरा के अलावा जलपाईगुड़ी तथा कूचबिहार आदि में जनसभाओं को संबोधित किया. सभी जनसभाओं में उनके निशाने पर राज्य की तृणमूल सरकार तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रहीं.
उसके बाद उन्होंने भाजपा तथा केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. दूसरी तरफ माकपा तथा वाम मोरचा के अन्य घटक दलों को लेकर कुछ भी नहीं बोले. स्वाभाविक तौर पर दोनों ही ओर से गठबंधन की तो ललक है, लेकिन दोनों ही पक्ष एक-दूसरे से न्यौते का इंतजार कर रहे हैं. इस मामले में अधीर चौधरी का साफ-साफ कहना है कि वाम मोरचा के साथ गठबंधन का निर्णय पार्टी के हाईकमान को करना है. शीघ्र ही नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेताओं को लेकर एक बैठक करेंगी. उसके बाद ही गठबंधन को लेकर कोई फैसला होगा. इस बीच, वाम मोरचा के अन्य घटक दल भी कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर सहमत हो गये हैं. आरएसपी ने साफ-साफ तौर पर कांग्रेस के साथ गठबंधन का समर्थन किया है.
पार्टी के राज्य सचिव तथा पूर्व मंत्री क्षीति गोस्वामी का कहना है कि राज्य में जारी तृणमूल के आतंक से बचने के लिए जरूरी है कि एक महागठबंधन बने. कांग्रेस के साथ यदि वाम मोरचा का गठबंधन होता है, तो इसको लेकर उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी. उन्होंने कहा कि वाम मोरचा सैद्धांतिक रूप से कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए तैयार है. अब फैसला कांग्रेस को करना है. कांग्रेस से सकारात्मक संकेत मिलने के बाद ही वाम मोरचा के घटक दलों के नेताओं की एक बैठक होगी. इस बैठक में सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा की जायेगी.