मालदा. कालियाचक कांड के बाद बीएसएफ की मदद से गैरकानूनी ढ़ंग से किये जा रहे अफीम की खेती को नष्ट करने का अभियान आबकारी विभाग ने शुरू किया है. आबकारी विभाग की ओर से बीएसएफ के जवानों की निगरानी में ट्रैक्टर से अफीम के पौधों को नष्ट किया जा रहा है. बुधवार की सुबह से […]
मालदा. कालियाचक कांड के बाद बीएसएफ की मदद से गैरकानूनी ढ़ंग से किये जा रहे अफीम की खेती को नष्ट करने का अभियान आबकारी विभाग ने शुरू किया है. आबकारी विभाग की ओर से बीएसएफ के जवानों की निगरानी में ट्रैक्टर से अफीम के पौधों को नष्ट किया जा रहा है. बुधवार की सुबह से मालदा शहर से 35 किलोमीटर दूर कालियाचक थाना अंतर्गत शाहावाजपुर ग्राम पंचायत के विभिन्न इलाके में गैरकानूनी अफीम की खेती को नष्ट करने का अभियान शुरू किया गया. गैरकानूनी अफीम की खेती को नष्ट करने के लिये जिला पुलिस प्रशासन ने पहली बार बीएसएफ की मदद ली है.
बुधवार को शाहावाजपुर ग्राम पंचायत के दोमाईचक गांव में गैरकानूनी रूप से किये जा रहे अफीम के खेतों में आठ ट्रैक्टर की मदद से आबकारी विभाग ने अफीम को नष्ट करने का अभियान चलाया. इस अभियान में आबकारी विभाग के अधिकारियों के साथ नारकोटिक्स विभाग व भू-राजस्व विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे. बुधवार को करीब 250 बीघा जमीन पर गैरकानूनी रूप से किये जा रहे अफीम की खेती को नष्ट किया गया़ हांलाकि इन खेतों के मालिकों की पहचान नहीं की जा सकी है.
अभियान के समय एक भी स्थानीय लोगों को नहीं देखा गया़ गिरफ्तारी के डर से स्थानीय निवासी गांव छोड़कर भाग खड़े हुये.स्थानीय एक ग्रामवासी निजाम शेख ने बताया कि अफीम के पौधे के साथ बैगन का पौधा लगाया जा रहा है, ताकि किसी को भी अफीम के बारे में पता ना चले. अफीम के पौधे बड़े होने के बाद उसे ढ़कने के लिये खेत में मक्के का पौधा भी लगाया जाता है. गौरतलब है कि पांच जनवरी शुरू इस अभियान में अब तक 1500 बीघा जमीन में गैरकानूनी अफीम के पौधों को नष्ट किया जा चुका है.
आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है पिछले वर्ष इन इलाकों में अफीम की खेती कम हुयी थी़ इस वर्ष इन इलाकों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गयी है. अधिकारियों के मुताबिक मालदा में सिर्फ नकली नोट ही नहीं,मादक पदार्थों की तस्करी के साथ भी स्थानीय तथा अन्तराष्ट्रीय ड्रग माफिया के लोग जुड़े हुए हैं. रूपये का प्रलोभन देकर ड्रग माफिया के लोग इस इलाके के गरीब लोंगो का उपयोग कर रहे हैं.सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक बीघा जमीन पर अफीम की खेती करने के लिये 50 हजार का खर्च आता है एवं इसमें चार से साढ़े चार किलो अफीम का उत्पादन होता है़ तस्कर इसकी कीमत लाखों में देते हैं. खेतों में काम करने वाले मजदूरों को चार से पांच सौ रूपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दी जाती है. अफीम का बीज लगाने से लेकर फल निकालने तक लगातार दो महीने प्रतिदिन पांच सौ रूपये कमाने के लिए कइ लोग इस गैर कानूनी काम में लग जाते हैं. अक्टूबर महीने में बीज डाला जाता है और जनवरी माह के प्रथम सप्ताह तक पौधों में अफीम तैयार हो जाता है.
किन इलाकों में होती है खेती
आबकारी विभाग ने बताया कि वर्ष 2013 में तीस हजार बीघा जमीन पर गैरकानूनी रूप से लगे अफीम के पौधों को नष्ट किया गया था. जिसमें 28 हजार पांच सौ बीघा जमीन कालियाचक एवं वैष्णव नगर थाना इलाके की थी. इसमें कुल 18 मामले दर्ज हुये थे. कालियाचक एवं वैष्णव नगर थाना इलाके के मोजामपुर ग्राम पंचायत के नारायणपुर, गंगानारायणपुर, शाहावाजपुर ग्राम पंचायत के बालूपुर, अकन्दवेरिया ग्राम पंचायत के बालूटोला, गोपालगंज ग्राम पंचायत के वावूरवना, चरिअन्नतपुर ग्राम पंचायत के दूइशकबिघी,जालू यावाधालग्राम पंचायत के शशानी,सूल्तानगंज, गोपाल नगर सहित विभिन्न इलाकों में काफी बड़े पैमाने पर गैरकानूनी रूप से अफीम की खेती होती है.
विशेष टीम का गठन
पुलिस अधीक्षक प्रसून बनर्जी ने बताया कि ड्रग माफिया पर नकेल कसने के लिये जिला पुलिस की ओर से एक विशेष टीम गठित की गयी है. आबकारी विभाग के अभियान में इस टीम के अधिकारी शामिल रहते हैं. उन्होंने माना कि जमीन मालिकों का पता नहीं चल पा रहा है. खाली जमीन पर अफीम की खेती हो रही है और जमीन का मालिक किसी अन्य राज्य में रह रहा है. मालिक को इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. जिन लोंगो के नाम पर गैरकानूनी रूप से अफीम की खेती करने का मामला दर्ज हुआ है पुलिस उन लोंगो की तलाश कर रही है.