उल्लेखनीय है कि जलपाईगुड़ी सदर एवं राजगंज ब्लॉक का एक बड़ा इलाका बांग्लादेश से जुड़ा हुआ है. इसके साथ ही चावलहाटी, बेरूबाड़ी, कैपेरहाट, देवानगंज आदि इलाका भी भारत- बांग्लादेश सीमा पर स्थित है. बांग्लादेश के पंचगढ़ जिले के हाथीभाषा, ताकला, सिंगरोड तथा पानीहाट इलाके से मछलियों की आपूर्ति भारतीय सीमा क्षेत्र में की जा रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बांग्लादेशी सीमा क्षेत्र के अंदर इन इलाकों में कई तालाब हैं. इन तालाबों के माध्यम से बड़े पैमाने पर मछली पालन का काम होता है. बांग्लादेशी बाजार में मांग कम होने के कारण तस्करी के जरिये मछलियों को भारतीय सीमा क्षेत्र में भेजा जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि खासकर यमुना, पांगा, तालमा, करतुआ नदी पर बने पुल के नीचे से बांग्लादेशी तस्कर मछलियों के साथ भारतीय सीमा क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं. सूत्रों ने आगे बताया कि बांग्लादेश से आयी मछलियों की कीमत भारतीय सीमा क्षेत्र में अधिक है.
इसके अलावा यहां इन मछलियों की मांग भी अधिक है. इसी वजह से बांग्लादेश के कई तस्कर अब मछली के तस्करी में लग गये हैं. बांग्लादेशी तस्कर भारतीय सीमा क्षेत्र में मौजूद अपने एजेंटों को मछली देते हैं. तीन सौ रुपये से 350 रुपये प्रति किलो के दर पर मछलियों की आपूर्ति कर दी जाती है. बाद में इन्हीं मछलियों की नीलामी 400 से 500 रुपये प्रति किलो की दर से की जाती है. खुचरा बाजार में बांग्लादेशी मछलियों की कीमत 130 से 150 रुपये पाव है. सिर्फ जलपाईगुड़ी ही नहीं, बांग्लादेशी मछलियों की आपूर्ति सिलीगुड़ी के भी विभिन्न मछली बाजार में किये जाने की खबर है.
इस मामले में स्टेशन बाजार व्यवसायी समिति के पूर्व उपाध्यक्ष सुभाष दास का कहना है कि आम तौर पर सभी प्रकार के नदियारी मछलियों की नीलामी होती है और उसके बाद ही विभिन्न खुदरा व्यवसायी खुले बाजार में मछलियों की बिक्री करते हैं. उन्होंने बांग्लादेश से तस्करी के माध्यम से आयी मछलियों की नीलामी की बात से इंकार कर दिया है. उन्होंने यह भी कहा है कि इस तरह की जानकारी उनके पास नहीं है. फिर भी वह इसकी जानकारी हासिल करेंगे. जलपाईगुड़ी फिस होलसेल मर्चेन्ट्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव देबू चौधरी ने भी ऐसी जानकारी से इंकार किया है. इस बीच, जिले के सहायक मत्स्य अधिकारी किरण लाल दास का कहना है कि सीमा पार से तस्करी के जरिये मछली आने की खबर उन्होंने भी सुनी है. खासकर बड़े पैमाने पर टेंगरा, कवई तथा सोल मछलियों की तस्करी हो रही है. सबसे चिंता की बात यह है कि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बीग्रेडकार्प मछलियों की बिक्री भी धड़ल्ले से हो रही है. वह भी इस मामले को देख रहे हैं.