जब संवाद ही न हो, तो फैकल्टी क्लब का क्या मतलब
सिलीगुड़ी : क्लब और संस्थान का गठन व निर्माण केवल मनोरंजन के लिए नहीं होता. समस्याओं के समाधान तथा संवाद का पुल बनाने के लिए होता है. कला भवन के पास टीचर्स का कैंटिन भले ही जर्जर था, लेकिन उसमें चाय की चुस्कियों के साथ कई समस्याओं का चुटकी में समाधान हो जाता है.
रविवार को उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय में शिक्षा मंत्री व अभिनेता व्रात्य बसु ने ‘फेकल्टी क्लब’ का उदघाटन किया, लेकिन विश्वविद्यालय के उपकुलपति, रजिस्ट्रार, प्रोफेसर, रिसर्च स्कॉलर, छात्र अपनी समस्याओं को लेकर आस लगाये सुबह 11 बजे से कैंपस में थे कि शिक्षा मंत्री हमारी बात सुनेंगे.
कारण विश्वविद्यालय अस्थायी उपकुलपति और अस्थायी रजिस्ट्रार को लेकर कई वर्षो से बीमार है. उसकी बीमारी के कारण उसके अधीनस्थ 67 कॉलेजों का हाल तो और भी खस्ता है. इनसे जुड़े लोग अपनी आप-बीती सुनाने आये थे, लेकिन शिक्षा मंत्री ने किसी से संवाद नहीं किया. एनबीयू टीचर्स काउंसिल के अध्यक्ष प्रो अमिताभ मुखोपाध्याय ने बताया कि आज के कार्यक्रम की सूची में किसी के साथ बातचीत की बात नहीं थी. हम सब उनसे बात करना चाहते थे.
उल्लेखनीय है कि फेकल्टी क्लब के उदघाटन के साथ-साथ ‘ इश्यू ऑन हायर एजुकेशन’ पर सेमिनार का आयोजन किया गया था.
सेमिनार को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के लिए दो चीजे बहुत आवश्यक हैं -एक एक्सीलेंसी (उत्कृष्टता) और दूसरा है एक्सपेंशन! उनसे पूछे जाने पर शिक्षा में गुणवत्ता के लिए निगरानी, पारदर्शिता भी तो जरूरी है.
कारण यहां इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेज हो या प्रोफेसर हो, अपने कार्य को ठीक ढंग से यदि नहीं करता, तो उसके लिए किसी तरह के निगरानी करने वाली कमेटी है, नहीं. उन्होंने सवाल का जवाब देते हुये कहा कि यह जिम्मेदारी रजिस्ट्रार और डीन की है. उनसे पूछे जाने पर कि पीजी काउंसिल, कला, विज्ञान और यूजी काउंसिल की बैठक नहीं हो रही है.
परीक्षा नियंत्रण विभाग में अस्थायी कर्मचारी हैं, नियुक्ति नहीं हो रही है, रजिस्ट्रार डॉ दिलीप कुमार सरकार पर एनबीयू का 70 लाख खर्च हो चुका है. एक करोड़ रूपये तीस लाख रूपये वेतन बिना सेवा के पा रहे हैं, ऐसी दर्जनों समस्या का निदान कब और कैसे होगा? उन्होंने कहा कि हम इसके लिए बैठकर समाधान निकालेंगे. मंत्री गौतम देव ने कहा कि बानरहाट में हिंदी कॉलेज खुलेगा.