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अनानास किसानों ने दी आत्महत्या की धमकी
मायूसी. लगातार घाटे से हुए परेशान, 70 हजार टन फसल बरबाद महकमा सभाधिपति को दिया ज्ञापन सिलीगुड़ी : लगातार घाटे से परेशान सिलीगुड़ी के निकट विधाननगर के अनानास किसानों ने आत्महत्या की धमकी दी है. पूरे उत्तर बंगाल में अनानास का सबसे अधिक उत्पादन इसी इलाके में होता है और आरोप है कि अनानास किसान […]
मायूसी. लगातार घाटे से हुए परेशान, 70 हजार टन फसल बरबाद
महकमा सभाधिपति को दिया ज्ञापन
सिलीगुड़ी : लगातार घाटे से परेशान सिलीगुड़ी के निकट विधाननगर के अनानास किसानों ने आत्महत्या की धमकी दी है. पूरे उत्तर बंगाल में अनानास का सबसे अधिक उत्पादन इसी इलाके में होता है और आरोप है कि अनानास किसान अपने उत्पाद के सही मूल्य नहीं पा रहे हैं. इन किसानों को लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है.
उत्पादन लागत तक यह लोग नहीं उठा पा रहे हैं. इसी के परिणाम स्वरूप आज विधाननगर इलाके के सैकड़ों अनानास किसान सिलीगुड़ी महकमा परिषद कार्यालय आये और सभाधिपति तापस सरकार को एक ज्ञापन देकर समस्या के समाधान की मांग की. उत्तर बंग अनारस चासी जन कल्याण समिति के बैनरतले विधाननगर इलाके के अनानास किसानों ने महकमा परिषद के सभाधिपति को ज्ञापन दिया. इस मौके पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए संगठन के सचिव अनिमेष मंडल ने राज्य सरकार से अनानास के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार ने धान, गेहूं आदि के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर रखी है, उसी हिसाब से अनानास के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य कम से कम 13 से 14 रुपये प्रति अनानास तय होना चाहिए. श्री मंडल ने आगे कहा कि अनानास का उत्पादन अधिक होने की वजह से किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है. थौक बाजार में चार से पांच रुपये के दर पर किसानों को अनानास बेचना पड़ रहा है. जबकि एक अनानास के उत्पादन में किसानों को 10 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. यही वजह है कि इलाके के सैकड़ों किसानों ने अनानास के फसल को अपने खेत में ही छोड़ दिया.
70 हजार टन अनानास सड़ गये हैं. दिल्ली और दक्षिण भारत के बाजारों में यहां से अनानास भेजे जाते हैं. इस वर्ष मात्र दो हजार टन अनानास ही बाहर के बाजारों में भेजे गये हैं. भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से अनानास किसान अपने फसल को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं.
एसजेडीए की ओर से 24 लाख रुपये की लागत से विधाननगर में अनानास बाजार तथा एक कोल्ड स्टोरेज की स्थापना की गई थी. यह कोल्ड स्टोरेज यूं ही बंद पड़ा हुआ है. कोल्ड स्टोरेज बंद होने की वजह से किसान अनानास का भंडारण नहीं कर पा रहे हैं. मजबूर होकर फसलों को खेत में ही छोड़ देना पड़ रहा है. पहले विधाननगर इलाके में हर वर्ष ही 200 से 250 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होता था. अब ऐसी स्थिति नहीं रह गई है.
अनानास किसान रोजगार के अन्य विकल्पों की तलाश में जुट गये हैं. यदि शीघ्र ही अनानास किसानों के समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो उनके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा. उन्होंने विधाननगर इलाके में पाइनएपल प्रोसेसिंग फैक्ट्री फिर से चालू करने की मांग की. उन्होंने कहा कि एक गैर सरकारी कंपनी ने वहां इस फैक्ट्री की स्थापना की थी, लेकिन छह महीने बाद ही यह बंद हो गया.
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