सिलीगुड़ी: गोजमुमो के खिलाफ हुंकार भरने वाले जीएनएलएफ के मुखिया सुभाष घीसिंग पहली बार सिमुलबाड़ी में आयोजित ‘त्रिपक्षीय समझौता दिवस’ में अनुपस्थित रहे. गौरतलब है कि गोरखा जाति के विकास के लिए छह दिसंबर, 2005 को केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और जीएनएलएफ के बीच त्रिपक्षीय वार्ता हुई थी.
दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और कर्सियांग तीन महकमा को छठी अनुसूची में शामिल करने तथा इसके तहत सभी सुविधा देने के लिए समझौता हुआ था. इसलिए जीएनएलएफ इस दिन को समझौता दिवस के रूप में मनाती है. पिछले छह माह से जीएनएलफ के मुखिया सुभाष घीसिंग अपने संगठन को मजबूत करने का प्रयास कर रहे है. पहाड़ में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए आंदोलन कर रहे है. लेकिन सेनापति कुछ दिनों से बीमार चल रहे है. सिलीगुड़ी के निजी नर्सिग होम में उनका ईलाज चल रहा है. चिकित्सकों का कहना है वें अवसाद के शिकार है. वे अब किसी से कम मिलते है. घंटो खबरिया चैनल से दूर रहकर डिस्कवरी चैनल देखते है.
क्या वें पहाड़ की राजनीति से पलायन करने लगे है? या गोजमुमो के हिंसक आंदोलन से उनका मनोबल टूट गया है? या फिर यह ढलते उम्र का परिणाम है? उनकी चुप्पी, खामोशी, व अकेलापन बहुत कुछ कहता है!.. उनकी उदासीनता का सबसे बड़ा प्रमाण सिमुलबाड़ी में आयोजित समझौता दिवस पर दिखा. उनके हजारों समर्थक अपनी पीड़ा, दर्द को लेकर उनका इंतजार कर रहे थे. उन्होंने कार्यक्रम में आने की तथा सभा को संबोधित करने के लिए हामी भी भरी थी.
जीएनएलएफ के वरिष्ठ नेता महेंद्र क्षेत्री ने सभा को संबोधित करते हुये सीधे गोजमुमो पर हल्ला बोल किया. उन्होंने कहा कि गोजमुमो जनता को गुमराह कर रही है. गोरखालैंड बनाने का सपना पूरा नहीं हुआ. वह जनता को झूठा सपना दिखा रही है. पहाड़ का विकास छठी अनुसूची से हो सकता है.उन्होंने कहा कि जीएनएलएफ गोरखाओं के हक के लिए संघर्ष करेगी. समझौता दिवस में हजारों की संख्या में जीएनएलएफ समर्थक उपस्थित थे. नीमा लामा, छीरिंग दहाल आदि नेताओं ने अपने वक्तव्य दिये.