सिलीगुड़ी. राज्य सरकार के निर्देश का पालन करने में सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस असमर्थ दिख रही है. महिला पुलिस कर्मचारियों की संख्या कम होने की वजह से थानों का महिला सहायता डेस्क बंद पड़ा है. सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस के अंतर्गत कई थानों में महिला सहायता डेस्क कार्यालय में ताला लटक रहा है.
राज्य सरकार के निर्देशानुसार राज्य के सभी थानों में महिला सहायता डेस्क खोला गया था, लेकिन अब इनमें से ज्यादातर बंद पड़े हैं या बंद होने के कागार पर हंै. सिलीगुड़ी मेट्रपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट के अंतर्गत किसी थाने के महिला सहायता डेस्क में महिला पुलिस कर्मचारी दिखाई नहीं देतीं, तो किसी थाने के महिला सहायता डेस्क पर ताला लटका हुआ है.
एक ओर तो पश्चिम बंगाल महिला अत्याचार तालिका में काफी ऊपर है, तो अब ऐसे में अगर महिला सहायता डेस्क भी बंद हो जाये तो अत्याचार के विरोध में प्राथमिकी दर्ज कराने में भी पीडि़त महिला और भी कतरायेंगी.
पुरुष पुलिस अधिकारी के समक्ष पीडि़त महिला घटना की पूरी जानकारी देने में हिचकती है एवं कहा भी जाता है कि महिला का दुख महिला ही समझ सकती है. पहले थानों में महिला सहायता डेस्क ना होने से कई महिलाएं पुरुष अधिकारी के समक्ष बलात्कार, छेड़छाड़ एवं घरेलू हिंसा आदि घटनाओं का वृत्तांत सुनाने में हिचकतीं थी जिसके वजह से कई मामले सामने ही नहीं आते थे. इसी वजह से राज्य सरकार ने सभी थानों में महिला सहायता डेस्क बनाने का निर्देश जारी किया था. उम्मीद थी कि इससे महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के मामले सामने आने पर पुलिस प्रशासन उस पर रोक लगाने में सक्षम होगी.
ऐसी सूचना नहीं, लेकिन छानबीन करेंगे : पुलिस आयुक्त
इस बारे में पूछे जाने पर सिलीगुड़ी मेट्रपोलिटन पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा ने बताया कि महिला सहायता डेस्क बंद होने की जानकारी उनके पास अभी तक नहीं पहंुची है, लेकिन वे इस मामले की छानबीन करेंगे. उन्होंने बताया कि थानों में महिला सहायता डेस्क महिलाओं की सहायता के लिए ही खोला गया था एवं उनकी जानकारी के मुताबिक सभी थानों में महिला सहायता डेस्क सुचारु रूप से चल रही है उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट में महिला पुलिस कर्मचारियों की संख्या मांग से कहीं ज्यादा कम है. श्री वर्मा के इस बयान में सच्चाई भी है क्योंकि कई थानों में महिला सहायता डेस्क पर पुरुष पुलिस कर्मचारी को भी देखा जाता है. महिला पुलिस कर्मचारियों की संख्या कम होने की वजह से राज्य सरकार का वह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिखायी देता है जिस उद्देश्य से महिला सहायता डेस्क बनाने का निर्देश दिया गया था.