मालदा. केन्द्र सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन मालदा में आम व लिची के लिए शोध केंद्र बनाने का रास्ता साफ हो गया है. इस केंद्र के लिए जमीन का हस्तांतरण कर दिया गया. शुक्रवार की शाम मालदा के जिला कार्यालय के सभागार में सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर के अधिकारी शैलेंद्र राजन के हाथों मालदा जिला शासक शरद द्विवेदी ने 70.4 एकड़ जमीन के कागजात सौंप दिये. इस कार्यक्रम में राज्य के खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री कृष्णेंदु चौधरी भी उपस्थित थे. मालदा शहर के रवींद्र भवन से संलग्न 34 नंबर राज्य सड़क के किनारे यह शोध केंद्र बन रहा है.
मंत्री कृष्णेंदु चौधरी ने बताया कि आज का दिन मालदा के लिए एक एतिहासिक दिन है. पूरे भारत में इस तरह का शोध केंद्र केवल उत्तर प्रदेश के लखनउ में है. मालदा में यह देश का दूसरा शोध कंेद्र बन रहा है. इस केंद्र के तैयार होने के बाद पूर्वोत्तर भारत के लोग लाभान्वित होंगे.
मंत्री ने बताया कि 99 वर्ष के समझौते के तहत राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को 70.4 एकड़ जमीन दी है. केंद्र सरकार की ओर यथाशीघ्र निर्माण कार्य पूरा किया जायेगा. 34 नंबर राज्य सड़क को लेकर कुछ समस्याएं थी.इसी वजह से जमीन नहीं मिलने में थोड़ी देरी हुयी है.जमीन की वजह से शोध केंद्र बनाने का काम भी अटका हुआ था. अब राज्य सरकार ने सभी समस्याएं दूर कर केंद्र सरकार को जमीन सौंप दी है.
इस विभाग के अधिकारी शैलेंद्र राजन ने बताया कि मालदा में इस शोध केंद्र को बनाने का निर्णय आज से 15 वर्ष पहले केंद्र सरकार ने ली थी. इससे सिर्फ पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि इसके पड़ोसी राज्य भी लाभान्वित होंगे. आम व लिची के साथ अन्य फलों की गुणवत्ता, किस्म व उत्पादन में वृद्धि करने के लिए यहां के वैज्ञानिक कृषकों को हर संभव सहायता मुहैया करायेंगे. इस केंद्र के लिए वैज्ञानिक दीपक नायक को नियुक्त भी कर दिया गया है. निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि भी केंद्र की ओर से जारी कर दी गयी है.