कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हिंदी भाषा को प्रकाश की तरह चारों दिशाओं में जगमगाते रहने की कामना के साथ हुआ. कार्यक्रम में उदघाटन वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए डी बी मुखोपाध्याय, उप महाप्रबंधक कोलकाता मेट्रो क्षेत्र ने कहा कि बैंक ऑफ़ बड़ौदा में राजभाषा कार्यांवयन का अनुपालन पूर्ण निष्ठ और गंभीरता से किया जाता है. हिंदी राजभाषा, संपर्क भाषा, जनभाषा के सोपानों को पार कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है. बैंकिंग संस्थान से जुड़े होने के नाते यह और भी आवश्यक है कि हम हिंदी भाषा का अधिक से अधिक व्यवहार करें क्योंकि आज भी भारत की बहुमत जनसंख्या हिंदी भाषा का प्रयोग करती है और यह संप्रेषण का एक सशक्त माध्यम है. हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी रंजन धवन का सभी स्टाफ सदस्यों हेतु हिंदी दिवस 2015 पर भेजा गया संदेश का पाठ किया गया.
आर एल गुत्तीकर, महाप्रबंधक, पूर्वी अंचल द्वारा अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा गया कि आज के दिन दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में हमारे बैंक को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों वर्ष 2014-15 के लिए सार्जनिक क्षेत्र के बैंकों व वित्तीय संस्थाओं की श्रेणी में ख क्षेत्र के अंतर्गत राजभाषा कार्यान्वयन के लिए सर्वोच्च पुरस्कार के रूप में राजभाषा कीर्ति पुरस्कार के तहत प्रथम पुरस्कार प्राप्त हो रहा है. कीर्ति पुरस्कार के तहत क एवं ग क्षेत्र के लिए हमारे बैंक को द्वितीय पुरस्कार तथा बैंक की गृहपत्रिका एवं राजभाषा पत्रिका को प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त हुए है. अतः हमारा यह दायित्व है कि हम इस स्थान को बनाये रखने हेतु अपना भरपूर प्रयास करते रहें.
श्री गुत्तीकर ने अपने वक्तव्य में बताया कि नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (बैंक), कोलकाता द्वारा हमारे पूर्वी अंचल, कोलकाता कार्यालय को भी राजभाषा कार्यान्वयन में बेहतर कार्यनिष्पादन करने हेतु द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि ग क्षेत्र होते हुए भी राजभाषा कार्यान्वयन के प्रति हमारे बैंक के सभी स्टाफ सदस्य कतिबद्ध हैं तथा पूरी निष्ठा से कार्य करते हैं. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी ने सभा को सम्बोधित करते हुए सर्वप्रथम बैंक द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन में सक्रिय योगदान तथा कई पुरस्कार प्राप्त करने पर बधाई दी.
अपने वक्तव्य में डॉ त्रिपाठी ने स्टाफ सदस्यों को राजभाषा हिंदी में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि ख्वाहीशों से फुल नहीं झड़ते झोलियों में, वक्त की शाखा को हिलाना होगा. अंधेरे को दोष देकर कुछ नहीं होगा, अपने हिस्से का दीया खुद ही जलाना होगा.