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एक दशक से तिरंगा बना रहे हैं मोहम्मद ताहिर

सिलीगुड़ी : अब से करीब दस दिन बाद ही यानि 15 अगस्त को देश अपनी आजादी का जश्न मनायेगा. जगह-जगह तिरंगे लहरायेंगे. सभी लोगों में देशभक्ति का जज्बा भरा होगा और सभी लोग एक ही बात दोहरायेंगे, झंडा ऊंचा रहे हमारा. हर तरफ इसकी तैयारियां की जा रही है. सरकारी स्तर से लेकर क्लब, विभिन्न […]

सिलीगुड़ी : अब से करीब दस दिन बाद ही यानि 15 अगस्त को देश अपनी आजादी का जश्न मनायेगा. जगह-जगह तिरंगे लहरायेंगे. सभी लोगों में देशभक्ति का जज्बा भरा होगा और सभी लोग एक ही बात दोहरायेंगे, झंडा ऊंचा रहे हमारा. हर तरफ इसकी तैयारियां की जा रही है.
सरकारी स्तर से लेकर क्लब, विभिन्न संगठन एवं आम लोग 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस तथा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाते हैं. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर हर ओर भारत का आन-बान और शान तिरंगा झंडा फहराया जायेगा. आम से लेकर खास तक सभी वर्ग के लोग इस राष्ट्रीय पर्व को मनाते हैं.
इस राष्ट्रीय पर्व को आम लोगों के लिए खास बनाने हेतु सिलीगुड़ी के हैदरपाड़ा स्थित अशरफ नगर निवासी मोहम्मद ताहिर अपने पूरे परिवार के साथ पिछले कई दिनों से लगे हुए हैं. दरअसल मोहम्मद ताहिर तिरंगा झंडा बनाने का काम करते हैं. 38 वर्षीय मोहम्मद ताहिर तथा उनका पूरा परिवार इसी काम में लगा हुआ है. 15 अगस्त और 26 जनवरी से पहले उनका पूरा परिवार इस काम में व्यस्त हो जाता है.
उनके झंडे सिर्फ सिलीगुड़ी ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर बंगाल में लहराते हैं. जब भी वह कभी तिरंगे झंडे को लहराते हुए देखते हैं, तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. वह इसलिए भी कि उन्हें इस बात का एहसास होता है कि यह झंडे उनके द्वारा बनाये गये हैं.
इस संबंध में एक विशेष बातचीत के दौरान मोहम्मद ताहिर ने कहा कि उनके पिता मोहम्मद जमील टेलर मास्टर थे. पहले वह अमीन टेलर चलाते थे. उनके निधन के बाद उन्होंने पिता का कारोबार संभाला और अपनी टेलर की दुकान चलाने लगे. लेकिन कुछ ही दिन बाद ही उन्होंने अपने काम में थोड़ा बदलाव कर लिया.
वह राष्ट्रीय झंडा बनाने का काम करने लगे. देखते ही देखते उनका काम चल निकला और अब वह मुख्य रूप से राष्ट्रीय झंडा बनाने का ही काम करते हैं. उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बच्चे, मां, भाई और बहन हैं. पूरे परिवार के सदस्य मिलजुल कर राष्ट्रीय झंडा बनाने का काम करते हैं.
उन्होंने माना कि राष्ट्रीय झंडा बनाने में मुनाफा कम होता है, लेकिन खुशी काफी अधिक मिलती है. फिर भी वह इतना तो कमा ही लेते हैं कि परिवार का भरण-पोषण आराम से हो जाता है. मोहम्मद ताहिर ने आगे बताया कि वह मुख्य रूप से झंडों के हॉलसेल का काम करते हैं. पहले तो सिर्फ 15 अगस्त तथा 26 जनवरी के मौके पर ही झंडों की बिक्री होती थी, लेकिन अब काफी कुछ बदल गया है.
क्रिकेट मैच के अलावा कई तरह के खेल के मौके पर झंडों की काफी बिक्री होती है. 15 अगस्त से पहले वह छोटा-बड़ा मिलाकर करीब 50 हजार से अधिक झंडों का निर्माण करते हैं.
उत्तर बंगाल के सभी सातों जिलों में वह झंडों की आपूर्ति करते हैं. सिलीगुड़ी के साथ-साथ मालदा से लेकर कूचबिहार, जयगांव से लेकर दाजिर्लिंग तक वही झंडों की आपूर्ति करते हैं. इतना ही नहीं, पड़ोसी राज्य सिक्किम के गंगतोक, नामची आदि शहरों में भी वही झंडों की आपूर्ति करते हैं.
मोहम्मद ताहिर कहीं किसी भी प्रकार के आतंकवादी गतिविधियों को देखकर काफी व्यथित होते हैं. उनका कहना है कि आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो.

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