सिलीगुड़ी. नक्सली संगठन भाकपा (माले) का 26 जून को राष्ट्रव्यापी गणतंत्र बचाओ आंदोलन होने जा रहा है. साथ ही दो सितंबर को देशव्यापी श्रम हड़ताल का एलान किया गया है. इन आंदोलनों का एलान आज संगठन के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने सिलीगुड़ी में किया. उन्होंने सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में प्रेस-वार्ता के दौरान मीडिया के […]
सिलीगुड़ी. नक्सली संगठन भाकपा (माले) का 26 जून को राष्ट्रव्यापी गणतंत्र बचाओ आंदोलन होने जा रहा है. साथ ही दो सितंबर को देशव्यापी श्रम हड़ताल का एलान किया गया है. इन आंदोलनों का एलान आज संगठन के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने सिलीगुड़ी में किया. उन्होंने सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में प्रेस-वार्ता के दौरान मीडिया के सामने इन आंदोलनों का एलान किया.
उन्होंने भाजपा व तृकां पर हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार के एक साल में पूरे देश में एवं पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने राज्य में अघोषित इमरजेंसी जैसा माहौल बना दिया है. 40 साल पहले 26 जून, 1975 को पूरा देश इमरजेंसी का दंश ङोलने को मजबूर हुआ था. भाजपा-तृकां दोनों ही एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं. पूरे देश में भाजपा व बंगाल में तृकां का आतंक-अत्याचार-अन्याय-अराजकता फैली हुयी है. देशहित व जनहित से दोनों सरकार को कोई सरोकार नहीं है. कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. केंद्र की नयय भूमि अधिग्रहण बिल पूरी तरह किसान विरोधी एवं संपन्न वर्ग के हित में है. देश को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अधीन करने की साजिश केंद्र रच रही है.
शिक्षा के अधिकार कानून को ताक पर रखा जा रहा है और शिक्षा नीति को तोड़ा-मरोडा जा रहा है. वहीं, बंगाल में ममता सरकार की ही नीति व कानून का दंश जनता ङोलने को मजबूर है. तृकां के नेता-मंत्री सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मदन मित्र जैसे तृकां के दबंग नेता सारधा चिटफंड जैसे मामले में जेल की हवा खाने के बावजूद परिवहन मंत्रलय के सिंहासन पर विराजमान हैं. श्री मित्र हवालात से ही अपने मंत्रलय को कंट्रोल कर रहे हैं. वहीं, पहाड़ के अभागोली नेता मदन तामांग हत्याकांड के सभी आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बावजूद ममता सरकार की ओछी राजनीति के वजह से ही सभी खुलेआम घूम रहे हैं. श्री भट्टाचार्य ने केंद्र व राज्य सरकार की तीखी भर्त्सना करते हुए कहा कि हर ओर से गणतंत्र पर हमला किया जा रहा है और श्रम कानून को भी दोनों सरकार मानने को तैयार नहीं है.
श्रम विरोधी कानून व सरकार की ओछी राजनीति की खामियाजा श्रमिक भुगत रहे हैं. उनसे उनका अधिकार छीना जा रहा है. केवल चाय बगान ही नहीं बल्कि अधिकांश क्षेत्रों में ही श्रमिकों की भूखमरी लगातार जारी है. सिलीगुड़ी में दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान संगठन की केंद्रीय कमेटी ने 26 जून को पूरे देश में गणतंत्र बचाओ आंदोलन एवं दो सितंबर को देशव्यापी श्रम हड़ताल करने का फैसला लिया है.