उन्होंने बताया कि देवी शक्तियों में मां कामाख्या काफी जागृत देवी है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के चार दिनों तक मां हर साल बीमार हो जाती है. इस दौरान चार दिनों तक मंदिर का कपाट बंद रहता है और मां की आराधना नहीं होती. चौथे दिन स्वस्थ होने के बाद मां का स्नान- श्रृंगार के बाद धूमधाम से पूजा-पाठ की जाती है और मां के दर्शन हेतु मंदिर का कपाट खोला जाता है. इसके तहत इस साल 22-25 जून चार दिनों तक मां बीमार हो गयी है. कल मां के दर्शन हेतु देश-दुनिया से लाखों श्रद्धालु, साधु-संत कामाख्या पहुंचेंगे और 15 दिनों तक लगने वाले विराट मेले का आनंद भी उठायेंगे.
संगठन के उपाध्यक्ष बिपिन बिहारी गुप्ता ने बताया कि बीते पांच वर्षो से बिहारी युवा कल्याण मंच हर साल मां का आराधना करने के साथ-साथ 15 दिनों तक मेले में शिरकत करनेवाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने, भंडारा, स्वास्थ्य सेवा समेत सभी आपातकालिन सेवाएं असम संगठन के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर करती आ रही है. सचिव कर्णवीर सिंह ने कहा कि संगठन के प्रतिनिधि मनोज सिंह व शंभूनाथ तिवारी के अगुवाई में सेवा शिविर शुरु हो गया है और भी प्रतिनिधि जल्द कामाख्या जानेवाले हैं.