छोटन रविदास के पिता खगेन रविदास (60) बीते चार सालों से बीमार है. उसकी मां पुषिया रविदास भी बीमार है. छोटन के सात भाई-बहन हैं. छोटन घर का छोटा बेटा है. उसकी दो बड़ी बहन की शादी हो गयी है. बाकी भाई-बहन दिल्ली में मजदूरी का काम करते हैं. यह परिवार काफी गरीब है. घर से थोड़ी दूर महानंदपुर हाट में छोटन जूता सिलने का काम करता है. उसे लोग मोची छोटन के नाम से जानते हैं.
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विज्ञान लेकर पढ़ना चाहते हैं मोची छोटन व चायवाला नासिरुद्दीन
मालदा: लोगों का जूता सिल कर व हाट में चाय बेच कर मालदा के दो छात्रों ने अच्छा नंबर व लेटर के साथ माध्यमिक पास कर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया. बिना ट्यूशन के मेधावी छात्र छोटन रविदास व नासिरुद्दीन आलम ने इस बार माध्यमिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किये. दोनों छात्रों ने अच्छे […]
मालदा: लोगों का जूता सिल कर व हाट में चाय बेच कर मालदा के दो छात्रों ने अच्छा नंबर व लेटर के साथ माध्यमिक पास कर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया. बिना ट्यूशन के मेधावी छात्र छोटन रविदास व नासिरुद्दीन आलम ने इस बार माध्यमिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किये. दोनों छात्रों ने अच्छे नंबर के साथ माध्यमिक परीक्षा में सफल होकर ग्रामीणों को अचंभित कर दिया.
दोनों छात्र ही मल्लिकपाड़ा के दक्षिणपाड़ा हाईस्कूल के छात्र हैं. इस बार माध्यमिक परीक्षा में छोटन रविदास को 532 व नासिरुद्दीन शेख को 548 अंक प्राप्त हुआ है.
छोटन रविदास को माध्यमिक परीक्षा में बांग्ला में 80, गणित में 97, भौतिक विज्ञान में 81, जीव विज्ञान में 86, इतिहास में 76, भूगोल में 64 व अंग्रेजी में 48 अंक प्राप्त हुआ हे. छोटन रविदास ने बताया कि वह लोगों का जूता सिल कर जितना कमाता है उससे उसका संसार चलता है. माध्यमिक में उसने किसी गृह शिक्षक की मदद नहीं ली. वह आगे विज्ञान लेकर पड़ना चाहता है. उसने बताया कि 11वीं कक्षा में भरती के लिये रुपये लगेंगे. वह भविष्य में विज्ञान लेकर पड़ कर जीव विद्या पर शोध करना चाहता है. उसने बताया कि गरीबी व आर्थिक तंगी के कारण अब भविष्य बनाने का सपना पूरा होगा या नहीं वह नहीं जानता. दूसरी ओर, मल्लिकपाड़ा निवासी नासिरुद्दीन आलम को इस बार माध्यमिक के बांग्ला परीक्षा में 81, अंग्रेजी में 50, गणित में 95, भौतिक विज्ञान में 81, जीव विज्ञान में 90, इतिहास में 81, भूगोल में 70 अंक प्राप्त हुआ है. उसके माता-पिता भी अस्वस्थ हैं. उसके चार भाई-बहन है.
दो बड़े भाई दूसरे राज्य में मजदूरी करता है. नासिरुद्दीन सुबह से शाम तक हाट में चाय बेचता है. उसके रोजगार पर ही संसार चलता है. भविष्य में वह शिक्षक बनना चाहता है, लेकिन अच्छे नंबर से माध्यमिक पास होने के बावजूद वह आगे विज्ञान लेकर पढ़ाई कर पायेगा या नहीं, वह नहीं जानता. उसने बताया कि 11वीं कक्षा में भरती का फीस और किताब जुगाड़ कर पाना उसके हैसियत से बाहर है. मल्लिकपाड़ा हाईस्कूल के शिक्षक सईदुर रहमान ने बताया कि इन दोनों छात्रों को वह बीच बीच में पढ़ाते थे. दोनों ही मेधावी छात्र है. अगर उनके पास गृह शिक्षक होता तो और अच्छा नंबर वे पा सकते थे. उनकी पढ़ाई बंद न हो, इसके लिए स्कूल प्रबंधन की ओर से हरसंभव सहयोगिता की कोशिश की जायेगी.
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