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पोर्ट इलाके के उम्मीदवारों में होगी कांटे की टक्कर

कोलकाता: कोलकाता नगर निगम के चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी दल अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर चुके हैं. उम्मीदवार चुनाव प्रचार में पसीने बहा रहे हैं. कोलकाता नगर निगम के चुनाव में 144 वार्ड के लिए वोट डाले जायेंगे, जिनमें से कई वार्ड में इस बार रोचक मुकाबला देखने को […]

कोलकाता: कोलकाता नगर निगम के चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी दल अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर चुके हैं. उम्मीदवार चुनाव प्रचार में पसीने बहा रहे हैं. कोलकाता नगर निगम के चुनाव में 144 वार्ड के लिए वोट डाले जायेंगे, जिनमें से कई वार्ड में इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. इसमें पोर्ट इलाके में स्थित 80 नंबर वार्ड भी एक है. इस वार्ड को सबसे पिछड़े में वार्डो में गिना जाता है. यहां वोटरों की तादाद लगभग 24 हजार है, जिनमें अधिकतर हिंदी भाषी हैं. सोनाई बस्ती, बीबी हॉल बस्ती, ब्रुक लेन क्वार्टर, साउथ केबिन बस्ती इत्यादि इस वार्ड के बड़े इलाकों में से हैं.
क्या कहना है मतदाताओं का
रामप्रवेश नामक एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि हमारा वार्ड मेहनत-मजदूरी करने वाले लोगों का इलाका है. पीने के पानी की कमी, बेरोजगारी, सफाई की कमी, शौचालय का अभाव हमारे इलाके की सबसे बड़ी समस्या है.
मोहम्मद मकसूद नामक एक मतदाता ने कहा कि ऐसा लगता है कि 80 नंबर वार्ड कोलकाता नगर निगम का इलाका ही नहीं है. इतने बड़े शहर का हिस्सा होने के बावजूद यहां बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है. कुसुम देवी ने कहा कि दशकों पहले यहां के अधिकतर लोग रोजगार की तलाश में बिहार व उत्तर प्रदेश से यहां आये थे. उस वक्त तो रोजगार मिल गया था, पर हमारे परिवार को एक बार फिर से बेरोजगारी ने जकड़ लिया है. सैकड़ों बेरोजागर लोग दिनभर यूं ही भटकते रहते हैं.
नये वोटर अजय ने कहा कि शहर के अन्य इलाके की तुलना में अपने वार्ड को देख कर बेहद शर्मिदगी महसूस होती है. इस इलाके में हमारे लिए कुछ भी उम्मीद नजर नहीं आती है. कोई हमारी खबर लेने वाला नहीं है. सभी को केवल अपनी चिंता है.
80 वर्षीय उमेश सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि जिंदगी 80 नंबर वार्ड में आ कर रुक गयी है. दशकों से हम लोग बेहतरी की उम्मीद लगाये बैठे हैं, पर अब तो उम्मीद भी हमसे रूठ गयी है.
रवि कहते हैं- इसमें कोई दो राय नहीं है कि शहर के अन्य इलाकों की तुलना में 80 नंबर वार्ड में विकास कम हुआ है, पर इसके लिए कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट और रेलवे जिम्मेदार है, क्योंकि इस वार्ड का अधिकतर इलाका इन्हीं दो विभागों के अंतर्गत पड़ता है.
क्या कहना हैं प्रत्याशियों का
सभी प्रमुख दलों ने 80 नंबर वार्ड से अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं, सभी दावा कर रहे हैं कि जीत उनकी ही होगी और लोग उनके साथ हैं. पहली बार चुनावी मैदान में उतरे कांग्रेस के प्रत्याशी अवधेश चौधरी का कहना है कि यह वार्ड पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है. पिछले चुनाव में हेमा राम कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ी थीं और जीतने के बाद अपने पति के साथ तृणमूल में शामिल हो गयीं. पत्रकार से नेता बने श्री चौधरी ने कहा कि उनकी स्वच्छ व ईमानदार छवि के कारण इलाके के लोग उनके साथ हैं. वार्ड में विकास और बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. ब्रुक लेन क्र्वाटर जैसे इलाकों की हालत तो इतनी खराब है कि वह इंसान के रहने लायक भी नहीं है. पार्षद बनने के बाद हेमा राम पांच वर्षो तक लोगों से दूर-दूर ही रहीं, अब चुनाव के समय उन्हें लोगों की याद आयी है, पर अब लोगों पर उनका जादू नहीं चलेगा.
भाजपा उम्मीदवार इरशाद अहमद भी अपनी जीत के प्रति बेहद आश्वस्त हैं. श्री अहमद का कहना है कि इस वार्ड पर दशकों से एक ही परिवार का कब्जा रहा है, जिसने इलाके के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया. आज भी इस वार्ड के कई इलाके के लोग कुएं से पानी पीते हैं. पूरा वार्ड गंदगी का ढेर बन चुका है. सबसे शर्म की बात यह है कि शौचालय की कमी के कारण आज भी इस वार्ड की महिलाएं खुले में शौच करने जाती है. प्राथमिक स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं. हुगली जूट मिल में आज भी श्रमिकों का शोषण हो रहा है. प्रबंधन के दलाल उन्हें गुमराह कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. वर्षो से 1100 श्रमिक स्थायी होने की उम्मीद में नौकरी कर रहे हैं, पर लगता है कि प्रबंधन एवं दलालों के कारण उनकी उम्मीद शायद ही कभी पूरी हो.
माकपा के उम्मीदवार राजेंद्र राजभर भी चुनाव प्रचार में किसी से पीछे नहीं है. वह लोगों के घर-घर जा कर उनसे मिल रहे और वोट की अपील कर रहे हैं. श्री राजभर के अनुसार इस वार्ड के 75 लोग बस्तियों में रहते हैं, जिन तक आज तक बुनियादी सुविधा तक नहीं पहुंची है. राम प्यारे राम और उनकी पत्नी हेमा राम दशकों से इस वार्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, पर इलाके की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.
वार्ड में एक कम्यूनिटी हॉल तक नहीं है और न ही एंबुलेंस की व्यवस्था मौजूद है. सड़कों पर हमेशा धूल उड़ती रहती है. टूटी-फूटी सड़कें व गलियां इस वार्ड की पहचान बन चुकी हैं. वार्ड में बेरोजागारों की एक बड़ी संख्या मौजूद है, जिनकी ओर देखने वाला कोई नहीं है. कुछ दिन पहले तक तृणमूल कांग्रेस का हिस्सा रहे निर्दल उम्मीदवार अनवर खान ने भी पूरी ताकत झोंक दी है. श्री खान का कहना है कि इस वार्ड में पीने के पानी की भारी किल्लत है. वार्ड के अधिकतर लोग झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी बिता रहे हैं. यह वार्ड किसी भी हाल में कोलकाता का हिस्सा नहीं लगता है. इस वार्ड के लोग जानते ही नहीं हैं कि विकास किसे कहते हैं. राम प्यारे राम इस वार्ड के पार्षद रहने के साथ-साथ विधायक भी रहे, पर उन्होंने 80 नंबर वार्ड के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया. उनकी पत्नी भी पति के रास्ते पर ही चल रही हैं. श्री खान ने कहा कि उन्होंने अपने बल पर इलाके में विकास का कुछ काम किया है. श्री खान ने दावा किया कि यह चुनाव वह स्थानीय लोगों के दबाव में लड़ रहे हैं. यहां के मतदाताओं ने ही उन्हें चुनाव में खड़ा करवाया है और वही उन्हें कामयाब बनायेंगे.
80 नंबर वार्ड की निवर्तमान पार्षद हेमा राम सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुआ कि अगर हम लोग स्थानीय लोगों के दुख-सुख में साथ नहीं होते. इलाके के विकास के लिए कुछ नहीं किया होता तो क्या वह हम लोगों को 7-8 बार पार्षद निर्वाचित करते. श्रीमती राम ने कहा कि वह हमेशा अपने वार्ड में उपलब्ध हैं, जब भी लोगों ने उन्हें कहीं भी बुलाया है, वह गयी हैं.
इस इलाके का अधिकतर हिस्सा कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट व रेलवे के अंतर्गत पड़ता है. फलस्वरूप हमारे हाथ बंधे हुए हैं. हम लोगों ने अपने स्तर पर इलाके का विकास करने की पूरी कोशिश की है. हमने हमेशा सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास किया है. श्रीमती राम ने कहा कि सांच को आंच नहीं होती. हम लोगों ने हमेशा ईमानदारी से काम किया है, इसलिए एक बार फिर जीत हमारी ही होगी.

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