सिलीगुड़ी: बबबब दिल्ली में चार्टड एकाउंटेंट (सीए) की तालिम ले रही सिलीगुड़ी के मिलनपल्ली की रहनेवाली रितिका आज अपने पापा रामबाबू मंत्री (सीए) को मुखाग्नि देकर ‘मर्दानी’ बन गयी है और सिलीगुड़ी में इतिहास रच डाला है. रितिका ने रुढ़ीवादिता को तोड़ते हुए केवल मारवाड़ी समाज को ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज को जोरदार […]
सिलीगुड़ी: बबबब दिल्ली में चार्टड एकाउंटेंट (सीए) की तालिम ले रही सिलीगुड़ी के मिलनपल्ली की रहनेवाली रितिका आज अपने पापा रामबाबू मंत्री (सीए) को मुखाग्नि देकर ‘मर्दानी’ बन गयी है और सिलीगुड़ी में इतिहास रच डाला है. रितिका ने रुढ़ीवादिता को तोड़ते हुए केवल मारवाड़ी समाज को ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदू समाज को जोरदार पैगाम दिया.
रितिका के साहस से जहां पूरा मारवाड़ी समाज गदगद महसूस कर रहा है, वहीं लड़की के हौसले को सलाम भी कर रहा है. आज अपराह्न करीब 3.45 बजे जब रितिका अपनी छोटी बहन मंजरी के साथ रामघाट के श्मशान में शव शय्या पर लेटे अपने पापा को मुखाग्नि दी, तो यह नजारा देख लोग अचंभित हो गये और मौके पर मौजूद समाज के हजारों लोग दोनों बहनों द्वारा रचे गये इस इतिहास का चश्मदीद गवाह बने. हिंदू धर्म में मृत व्यक्ति को उनके पुत्र द्वारा ही मुखाग्नि देने की प्रथा वर्षो से चली आ रही है.
पुत्र के न होने पर किसी खास रिश्तेदार पुरुष द्वारा मुखाग्नि दी जाती है. विदित हो कि सीए रामबाबू मंत्री (52) का कल यानी शुक्रवार क ी सुबह स्थानीय मिलनपल्ली के इलेक्ट्रीसिटी ऑफिस रोड स्थित निवास पर अस्वाभाविक मृत्यु हुई थी. पुलिस सूत्रों के अनुसार, उनकी मौत चार मंजिलें इमारत से गिरने के कारण हुई थी. रामबाबू ने अपने पीछे पिता बद्रीलाल मंत्री, पत्नी ममता, दो बेटियों समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गये.दोनों बहनों ने शव को कंधा भी दिया.
क्या कहना है रितिका का
रितिका का कहना है कि पापा रामबाबू व मां ममता के हम दो बहने हैं. भाई नहीं है. मम्पी-पापा हम दोनों बहनों को कभी भी बेटी की नजर से नहीं देखे. हमेशा बेटा कहकर ही पुकारा. हमने भी मम्मी-पापा को कभी बेटे की कमी नहीं खलने दी. इसलिए हम दोनों बहनों ने पापा को मुखाग्नि देने का फैसला किया. पापा को मुखाग्नि देकर हमें गर्व महसूस हो रहा है. पापा अमर हो गये. छोटी बहन मंजरी भी पेशे से सीए है और पापा के सीए के काम में हमेशा सहयोग करती थी.
क्या कहना है समाजसेवी श्याम मइयां का
सिलीगुड़ी के वरिष्ठ समाजसेवी व अंत्येष्ठी विशेषज्ञ श्याम मइयां का दावा है कि दोनों बहनों ने पापा को मुखाग्नि देकर सिलीगुड़ी में इतिहास कायम किया है. लड़की होने के बावजूद जो साहस का परिचय इन बहनों ने दी है वह समाज व धर्म की रुढ़िवादिता से बंधी एक लड़की नहीं कर सकती. दोनों बहनों ने रुढ़िवादिता को ताक पर रखकर समाज को जबरदस्त पैगाम दिया है. दोनों बहनें लड़की नहीं बल्कि हिंदू समाज की दो शेरनी हैं.