सिलीगुड़ी. राज्य सरकार की प्रमुख दुग्ध उत्पादक कंपनी हिमूल को बचाने तथा विभिन्न मांगों के समर्थन में कर्मचारियों ने अपने आंदोलन को और तेज कर दिया है. इसके लिए हिमूल बचाओ कमेटी का गठन किया गया है और कारखाना परिसर में लगातार धरना-प्रदर्शन किये जाने का ऐलान किया है.
सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमूल बचाओ कमेटी के संयुक्त कन्वेनर सुधांशु कुमार तरुवा ने कहा है कि हिमूल को बचाने के लिए सिलीगुड़ी में ही एक पूर्णकालिक चेयरमैन की नियुक्ति की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्तमान में दाजिर्लिंग के जिला शासक हिमूल के चेयरमैन हैं और उनके पास इतना समय नहीं है कि वे हिमूल के लिए कोई योजनाएं बना सके.
उन्होंने सिलीगुड़ी के हिमूल कार्यालय में एक पूर्णकालिक चेयरमैन नियुक्त किये जाने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने एक टेक्निकल मैनेजर की नियुक्ति पर भी जोर दिया. उन्होंने बताया कि दक्ष प्रशासक और दक्ष टेक्निशियन की मदद से ही हिमूल का एक बार फिर से कायाकल्प करना संभव होगा. उन्होंने हिमूल के चार कर्मचारियों के निलंबन पर भी सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा कि बगैर किसी जांच के चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है, जो सही नहीं है.उन्होंने कहा कि हिमूल प्रबंधन के मनमाने रवैये से कर्मचारी परेशान हैं. श्री घोष ने कहा कि हिमूल प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिये जाते हैं. इसके अलावा पीएफ तथा ग्रेच्युटी की रकम भी जमा नहीं कराये जाती, जिसकी वजह से आये दिन कर्मचारियों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने हिमूल कर्मचारियों को प्रत्येक महीने की एक तारीख को तनख्वाह भुगतान करने की मांग की. इसके साथ ही उन्होंने पीएफ तथा ग्रेच्युटी के मद में सभी बकाये का भुगतान शीघ्र करने की भी मांग की.
श्री तरूआ ने कहा कि हिमुल के ऐसे कर्मचारियों की भी संख्या काफी है, जो काम से रिटायर हो गये हैं, लेकिन उनके पीएफ तथा ग्रेच्युटी का अब तक भुगतान नहीं किया गया है. अगले दो महीने में और भी कई कर्मचारी रिटायर होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि नौकरी से रिटायर हो चुके सभी कर्मचारियों को तत्काल भुगतान मिलना चाहिए और आनेवाले दिनों में जो भी कर्मचारी रिटायर होंगे उनको उसी समय रिटायरेंट की सभी सुविधाएं प्रदान करनी होगी.
कम हो गया है उत्पादन : श्री तरूआ ने आगे बताया कि प्रबंधन की उदासीनता के कारण हिमूल के उत्पादन में भारी कमी आयी है. पहले 30 हजार लीटर दूध का उत्पादन प्रतिदिन होता था, जो अब घट कर 10 हजार लीटर हो गया. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पहले ना तो वाम मोरचा सरकार ने हिमूल को सही से चलाने की कोशिश की और ना ही वर्तमान तृणमूल सरकार ऐसा कर रही है.