विभिन्न स्वयंसेवी संगठन के सदस्य भी वहां पहुंच गये, लेकिन बाद में लोगों को पता चला कि यह सब मॉक ड्रिल का एक हिस्सा है. ट्रेन हादसे में घायलों को हरसंभव सेवा मुहैया कराने के लिए पूर्व रेलवे के मालदा डिवीजन प्रबंधन ने मॉक ड्रिल का आयोजन किया था. आज सुबह साढ़े नौ बजे से जिला प्रशासन के साथ मिल कर पूर्व रेलवे के मालदा डिवीजन प्रबंधन ने गौड़ मालदा स्टेशन में मॉक ड्रिल किया. लोग इस मॉक ड्रिल से अनजान थे.
सुबह साढ़े नौ बजे के आसपास मालदा टाउन स्टेशन पर छह बार दुर्घटना की घोषणा कर सीटी बजायी गयी. इसके बाद मालदा टाउन स्टेशन से 12 किलोमीटर दूर दो बोगी वाली एक ट्रेन गौड़ मालदा स्टेशन में आपातकालीन सेवा के लिए पहुंची. सुरक्षा कर्मचारी, डॉक्टर, नर्स समेत और एक ट्रेन वहां पहुंची. युद्धस्तर पर कैंप, राहत व चिकित्सा शिविर लगाया गया. सब कुछ इतनी गंभीरता से किया जा रहा था कि समझना मुश्किल हो गया था कि घटना असली है या नकली.
मॉक ड्रिल के अंतिम चरण में विशेष बोगी लेकर मालदा डिवीजन के डीआरएम राजेश अग्रवाल समेत जीआरपी, आरपीएफ व रेलवे के उच्च अधिकारी गौड़ मालदा स्टेशन पहुंचे. रेलवे सूत्रों के अनुसार, पहले से ही गौड़ मालदा स्टेशन से दो बोगी लाकर क्रेन के माध्यम से एक को दूसरे पर चढ़ाया गया. 10 नकली मानव शरीर तैयार कर कुछ को बोगियों के भीतर तो कुछ को बाहर रखा गया. डीआरएम राजेश अग्रवाल ने बताया कि ट्रेन दुर्घटना होने पर कैसे इसका सामना किया जाए, यात्रियों को कैसे बचाया जा सके, इन सब बारे में जानकारी देने के लिए यह अभियान चलाया गया. इस अभियान के दौरान रेलवे की आपातकालीन सेवाओं का जायजा लिया गया. इस विशेष प्रस्तुति के दौरान ट्रेन की आवाजाही में कोई समस्या नहीं हुई.