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सरस्वती पूजा कल: महंगाई की पड़ी मारी प्रतिमा को लेकर मारामारी

सिलीगुड़ी: शनिवार को सरस्वती पूजा है. इस पूजा के आयोजन को लेकर बच्चों में खास उत्साह है.हर तरफ चंदा लेने का काम जारी है.कइ बच्चों का कहना है कि महंगाई के अधीक होने के कारण कम खर्च में पूजा कर पाना संभव नहीं है.खास कर प्रतिमा को लेकर तो काफी मारामारी रहने की संभावना है.क्योंकि […]

सिलीगुड़ी: शनिवार को सरस्वती पूजा है. इस पूजा के आयोजन को लेकर बच्चों में खास उत्साह है.हर तरफ चंदा लेने का काम जारी है.कइ बच्चों का कहना है कि महंगाई के अधीक होने के कारण कम खर्च में पूजा कर पाना संभव नहीं है.खास कर प्रतिमा को लेकर तो काफी मारामारी रहने की संभावना है.क्योंकि कलाकारों की कमी के कारण कम प्रतिमा का निर्माण हो रहा है.

प्राप्त जानकारी के अनुसी प्रतिमा निर्माण उद्योग में कारीगरों की मजदूरी काफी बढ़ गयी है जिसकी वजह से प्रतिमा को लेकर समस्या होने की संभावना है. इसके अलावा प्रतिमा बनाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाली मिट्टी से लेकर प्रतिमा को सजाने के लिए सभी वस्तुओं की कीमत बढ़ गयी है,इसलिए स्वभाविक तौर पर प्रतिमा के दाम भी बढं़ेगे. सिलीगुड़ी के कुम्हारटोली के एक कलाकार ने बताया कि कारीगरों की मजदूरी बढ़ गयी है.

बढ़ी हुयी मजदूरी पर भी कारीगर नहीं मिल रहे हैं.इसके अलावा प्रतिमा बनाने वाले काफी कलाकार पहले से ही किसी दूसरे रोजगार में लग गये हैं. इसलिए कई कारीगर काम छोड़ कर चले गये हैं.इनलोगों का कहना है कि प्रतिमा बेच कर अधिक लाभ नहीं होता है. इसलिए कारीगर दूसरे कामों में लग गये हैं और इनकी कमी हो गयी है.कलाकारों की कमी के कारण मांग पूरा करना असंभव हो गया है.

इसबीच सरस्वती पूजा के मद्देनजर सिलीगुड़ी के कुम्हारटोली में अंतिम चरण की तैयारियां चल रही है. प्रतिमा कलाकारों के घर में विभिन्न आकार के सरस्वती बनाये जा रहे हैं. प्रतिमा का ऑर्डर भी खूब मिल रहा है. सिलीगुड़ी के अलावा कूचबिहार, रायगंज समेत उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों से कारीगर यहां आकर काम करते हैं. एक दक्ष प्रतिमा कलाकार को रोजाना एक हजार से 1200 रुपये मजदूरी देनी पड़ती है. आम कारीगरों को भी दैनिक मजदूरी 400 से 450 रुपये देनी पड़ती है. मूर्ति कारीगर अपनी मजदूरी और अधिक करने की मांग कर रहे है. विरोध करने पर कारीगर काम छोड़ कर चले जाते है. मूर्ति कलाकारों का कहना है कि सरस्वती पूजा का बजट दूसरे पूजा की तुलना में कम होता है. पूजा आयोजक ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते हैं. दूसरे पूजा की तुलना में सरस्वती पूजा में प्रतिमा ज्यादा संख्या में बनानी पड़ती है. ऐसे में कारीगरों की समस्या होने के कारण मुश्किल बढ़ गयी है. इस बीच दूर दराज के इलाके के लोग आज से ही प्रतिमा ले जाने लगे हैं.

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