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कानू सान्याल ट्रस्ट से भी हुई छुट्टी

सिलीगुड़ी : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्‍सवादी लेनिनवादी (भाकपा-माले) ने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने के आरोप लगाते हुए राज्य सचिव तथा पार्टी के केन्द्रीय कमेटी के सदस्य सुब्रत बसु सहित तीन नेताओं को पार्टी से निकाल दिया है. आज सिलीगुड़ी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के केन्द्रीय कार्यकारिणी से सदस्य […]

सिलीगुड़ी : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्‍सवादी लेनिनवादी (भाकपा-माले) ने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने के आरोप लगाते हुए राज्य सचिव तथा पार्टी के केन्द्रीय कमेटी के सदस्य सुब्रत बसु सहित तीन नेताओं को पार्टी से निकाल दिया है.
आज सिलीगुड़ी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के केन्द्रीय कार्यकारिणी से सदस्य अरविंद सिन्हा ने यह जानकारी दी. श्री सिन्हा ने बताया कि सुब्रत बसु तथा पार्टी के दो अन्य नेता स्वदेश बनर्जी तथा इन्द्र राय काफी दिनों से पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे. इसी वजह से इन लोगों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि पार्टी के केन्द्रीय कमेटी ने अप्रैल 2013 में भाकपा-माले तथा भाकपा-माले जनशक्ति के आपस में परस्पर सहयोग तथा एकीकरण का प्रस्ताव पारित किया था. इसके पीछे मुख्य मकसद वाम शक्तियों को एक साथ खड़ा कर सरकार के जनविरोधी नीतियों का विरोध करना था. केन्द्रीय कमेटी द्वारा इस आशय संबंधी प्रस्ताव पारित होने के बाद भी सुब्रत बसु तथा अन्य दोनों नेता इसका विरोध करते रहे. उन्होंने पार्टी के अंदर ही गुटबाजी शुरू कर दी.
उन्होंने स्वदेश बनर्जी तथा इन्द्र राय के साथ मिलकर पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. नक्सलबाड़ी आंदोलन के प्रणोता कानू सान्याल के नाम पर यह लोग अवैध उगाही करने में भी लगे हुए थे. पार्टी को जब इस आशय की सूचना मिली, तो इन लोगों को पार्टी से निकालने का निर्णय लिया गया.
सुब्रत बसु के स्थान पर सुबोध मित्र को पश्चिम बंगाल राज्य सचिव नियुक्त किया गया है. श्री सिन्हा ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की भी जमकर आलोचना की और केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध किया. उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले अच्छे दिन आने के वादे लोगों से किये, लेकिन अब यह सरकार गरीब विरोधी नीति अपना रही है. भूमि अधिग्रहण संबंधी अध्यादेश सरकार की इसी नीति की एक कड़ी है. सरकार ने नया भूमि अधिग्रहण आदेश पारित कर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की है.
किसानों को इस कानून से भारी नुकसान होगा. उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार की मेक इन इंडिया कार्यक्रम की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार इस कार्यक्रम के जरिये बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है. देश के नौजवानों के साथ मोदी सरकार ने धोका किया है. संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के नवनियुक्त राज्य सचिव सुबोध मित्र ने कहा कि जो नेता पार्टी से निष्कासित किये गये हैं वह सभी तृणमूल कांग्रेस में जाने की फिराक में हैं. उन लोगों ने ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी कि उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया. इससे पहले जिन लोगों को भी पार्टी से निकाला गया, वह सभी तृणमूल कांग्रेस की शरण में गये.
दोला सेन, पुण्रेन्दु बसु, अजीत बनर्जी आदि इसके उदाहरण हैं. पुण्रेन्दु बसु जहां मंत्री बने हुए हैं, वही दोला सेन का भी तृणमूल कांग्रेस में बड़ा जलवा है. इन्हीं सब वजहों से यह सभी नेता भाकपा-माले को नुकसान पहुंचा कर व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए थे. उन्होंने बताया कि कानू सान्याल मेमोरियल ट्रस्ट से भी सुब्रत बसु की छुट्टी कर दी गई है. सुब्रत बसु इस ट्रस्ट के सचिव थे. उनके रहते कभी भी ट्रस्क का काम सही तरीके से नहीं हुआ. पार्टी द्वारा रुपये देने के बाद भी वह ट्रस्ट का पंजीकरण तक नहीं करा सके. उनके स्थान पर नक्सलबाड़ी आंदोलन में सरीक रहे खुदन लाल मल्लिक को कानू सान्याल ट्रस्ट का सचिव बनाया गया है.

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