सिलीगुड़ी: अलग राज्य गोरखालैंड के गठन के विरुद्ध एकबार फिर बांग्ला व बांग्ला भाषा बचाओ कमेटी ने अपनी आवाज बुलंद की. संगठन की ओर से साफ कह दिया गया है कि बंगाल का विभाजन किसी हालत में नहीं होने दिया जायेगा. बंगाल में रह रहे गोरखालैंड विरोधियों ने ही दार्जिलिंग लोकसभा केंद्र में भाजपा को विजयी बनाया था. संगठन की ओर से मोरचा पर प्रहार करते हुए कहा कि मोरचा के युवा नेता संजय राई समेत कुछ नेता सिर्फ अस्त्र ही नहीं बल्कि हाल ही में दार्जिलिंग में गठित एक उग्रवादी संगठन के साथ भी जुड़े हुए हैं.
संगठन की ओर से बर्दवान विस्फोट की तरह दार्जिलिंग हथियार कांड की भी एनआइए जांच की मांग की. संगठन के अध्यक्ष डॉ मुकुंद मजूमदार ने कहा कि नेपाली जाति के लोग दार्जिलिंग के भूमिपुत्र नहीं है. वे बाहरी है. दार्जिलिंग में रह रहे नेपाली जाति के लोगों में तीन प्रतिशत लोग विदेशी है.
23 अगस्त 1988 के भारत सरकार के विशेष गेजेट विज्ञप्ति के तहत 26 जनवरी 1945 के बाद आये नेपालियों को भारतीय नागरिकता नहीं मिलेगी. विदेशी नेपालियों का गोरखालैंड मांग पूरी तरह से अवैध है. उन्होंने आगे कहा कि गोरखा नाम से कोई भाषा नहीं है. इसलिए गोरखा जाति का भी असित्व नहीं है. संगठन की ओर से सांप्रदायिक विभाजन के लिए जीटीए को जिम्मेदार ठहराते हुए जीटीए रद्द करने की मांग की गयी.