सिलीगुड़ी: राज्य सरकार के एक उपक्रम दुग्ध उत्पादन कंपनी हिमूल को बचाने के लिए अब दुध विक्रेताओं ने आवाज बुलंद करनी शुरु कर दी है. आज माटीगाड़ा के खपरैल स्थित हिमूल फैक्ट्री के मुख्य गेट के सामने हिमूल मिल्क सेलर्स एजेंट एसोसिएशन के बैनर तले सैकड़ों दूध विक्रेताओं ने राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों के नेतृत्व कत्र्ता व एसोसिएशन के अध्यक्ष शांति चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार की उदासिनता के वजह से ही आज हिमूल के दूध बाजार पर निजी कंपनियां हावी होती जा रही है. पहले पूरे उत्तर बंगाल के लोग एक मात्र हिमूल पर निर्भर थे.
लेकिन आज हिमूल की दूध आपूर्ति काफी कम होने की वजह से सात निजी कंपनियां बाजार में दूध बिक्री कर रही हैं और सभी कंपनियां हिमूल से अधिक मुनाफा कमा रही है. इन कंपनियों में एक दूध कंपनी बिहार से उत्तर बंगाल में दूध आपूर्ति कर रही है.
श्री चक्रवर्ती ने कहा कि हिमूल की दूध उत्पदन क्षमता प्रति दिन 35 हजार लीटर है, लेकिन क्या वजह है कि 35 हजार लीटर तो दूर की बात 15 हजार लीटर दूध उत्पादन हिमूल नहीं कर पा रही. हिमूल की दूध की गुणवत्ता अनेक कंपनियों से काफी अच्छी है और लोगों में इसकी मांग भी अधिक है, लेकिन राज्य सरकार इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रही है. निजी कंपनियों के दूध की गुणवत्ता काफी खराब होने के बावजूद इन कंपनियों से हिमूल से अधिक कमीशन मिलने की वजह से एजेंट अब इनका दूध बिक्री करने में दिलचस्पी ले रहे हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले मंत्री गौतम देव ने कहा था कि हिमूल के उद्धार के लिए सरकार ने तीन करोड़ रुपये दिये हैं, लेकिन यह रुपये कहां खर्च हुए वह दिखाई नहीं दे रहा है. हिमूल की दशा जस की तस बनी हुई है. उन्होंने कहा कि एसजेडीए में हुई आर्थिक घोटाले जैसे पुनरावृत्ति अब हिमूल में भी होने की संभावना है. दूध बिक्रेताओं ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हिमूल को नहीं बचाया गया तो बिक्रेता वृहत्तर आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.