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मालामाल हुए जिला भाजपा अध्यक्ष
आंदोलन की नैतिकता को लेकर उठे सवाल, उत्तरायण से सिलीगुड़ी : कहते हैं कि नेताओं की कथनी और करनी में काफी फर्क होता है. वह कहते कुछ हैं और करते हैं कुछ और. ऐसा ही मामला जिला भाजपा अध्यक्ष रथीन्द्र बोस के मामले में भी सामने आया है. श्री बोस ने वाम शासनकाल में 400 […]
आंदोलन की नैतिकता को लेकर उठे सवाल, उत्तरायण से
सिलीगुड़ी : कहते हैं कि नेताओं की कथनी और करनी में काफी फर्क होता है. वह कहते कुछ हैं और करते हैं कुछ और. ऐसा ही मामला जिला भाजपा अध्यक्ष रथीन्द्र बोस के मामले में भी सामने आया है. श्री बोस ने वाम शासनकाल में 400 सौ एकड़ जमीन पर बसे उत्तरायण उपनगरी के खिलाफ आंदोलन की धमकी दी है.
श्री बोस ने पिछले दिनों एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर कहा था कि चाय बागान की जमीन पर उत्तरायण उपनगरी को तैयार करना सही नहीं था. उन्होंने आगे कहा था कि चाय बागान श्रमिकों के खून पर उस उपनगरी को बसाया गया है. इसके साथ ही उन्होंने जमीन के स्थानांतरण के बारे में अनिमितता का आरोप लगाते हुए पूर्व मंत्री तथा माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. उन्होंने इस मांग को लेकर आंदोलन की भी घोषणा की है.
श्री बोस ने संवाददाता सम्मेलन में आगे कहा था कि जमीन के स्थानांतरण के समय जब चाय श्रमिक आंदोलन कर रहे थे तब पुलिस ने गोली चलायी थी और इसमें तीन श्रमिकों की मौत हो गई थी. दूसरी ओर जिस उत्तरायण की जमीन के चाय श्रमिकों की खून पर खड़े होने की बात श्री बोस कर रहे हैं उसी उत्तरायण में उनका भी दो प्लॉट था जिसे बाद में उंची कीमत पर बेचकर वह मालामाल हो गये. इसमें स्वाभाविक तौर पर आम लोगों के दिमाग में श्री बोस के आंदोलन की नैतिकता को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तरायण में श्री बोस के दो प्लॉट थे जिसमें से बाद में उन्होंने इसकी बिक्री कर दी थी. इसके अलावा उत्तरायण के सिटी सेंटर में उनकी एक दुकान होने की भी खबर है.उत्तरायण के एफ जोन में 6 कट्ठे के प्लॉट के आवंटन संबंधी एलॉटमेंट लेटर की कॉपी हमारे पास है. यहां यह उल्लेखनीय है कि उत्तरायण में जमीन होना या फिर जमीन की खरीद बिक्री करना कोई गैर कानूनी नहीं है, यह अपराध भी नहीं है.
लेकिन सवाल यह है कि जब चाय मजदूरों को गोली लगी थी तब रथीन्द्र बोस भी सिलीगुड़ी में ही थे. उसके बावजूद उन्होंने उत्तरायण में जमीन क्यों खरीदी. श्री बोस के नाम उत्तरायण द्वारा जारी एलॉटमेंट लेटर के अनुसार उनको 6 कट्ठे का प्लॉट एफ 1011 जोन एफ में आवंटित की गयी थी. उन्हें 1.7.2004 को एलॉटमेंट लेटर जारी किया गया था. जब श्री बोस ने उत्तरायण में जमीन खरीदी होगी तब उस जमीन की कीमत करीब 9 लाख रुपये रही होगी. उन्हें पहले चरण में जमीन बेची गई है. सूत्रों ने बताया है कि उत्तरायण ने जब पहले चरण में प्लॉटों की बिक्री शुरू की थी तब इसकी कीमत प्रति कट्ठा 1 लाख 15 हजार रुपये से लेकर 1 लाख 25 हजार रुपये तक थी. उत्तरायण में वर्तमान समय में जमीन की कीमत आसमान पर है.
दस साल में ही एफ जोन में जमीन की कीमत बढ़कर 15 से 18 लाख रुपये प्रति कट्ठा हो गया है. श्री बोस ने जब इन प्लॉटों की बिक्री की होगी तब इसकी कीमत करीब 90 लाख रुपये से भी ऊपर रही होगी. उनके विरोधियों का कहना है कि दो प्लॉटों की बिक्री की श्री बोस ने डेढ़ करोड़ रूपये से भी अधिक कमाए होंगे.उनके विरोधियों का आगे कहना है कि सब कुछ जानते हुए भी श्री बोस ने वहां जमीन क्यों खरीदी.
अब जब जमीन की बिक्री कर उन्होंने इतनी मोटी रकम कमाई है तो क्या वह पुलिस की गोली से मरे चाय श्रमिकों के परिवार वालों के कल्याण के लिए कुछ करेंगे. मजे की बात यह है कि श्री बोस के नाम जो एलॉटमेंट लेटर जारी हुए हैं उसमें उनके घर का पता नहीं है. श्री बोस पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और सिलीगुड़ी के विधान रोड में उनका कार्यालय है.
एलॉटमेंट लेटर में उनके कार्यालय का ही पता दर्ज है. इस संबंध में पूर्व मंत्री तथा माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य का कहना है कि चांदमणि चाय बागान की जमीन पर उत्तरायण टाउनशिप, हास्पीटल, शॉपिंग मॉल, स्कूल आदि हाईकार्ट के फैसले के बाद खड़े हुए हैं हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशानुसार ही इस जमीन पर कई बड़े प्रोजेक्ट का निर्माण हुआ. 1997 के मुद्दे को लेकर आज भाजपा आवाज उठा रही है, तो उस समय भाजपा कहां थी. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती क्यों नहीं दी गई.
अशोक भट्टाचार्य ने भाजपा नेता रथीन्द्र बोस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि वास्तव में चांदमणि चाय बागान की जमीन को लेकर उन्हें सही जानकारी नहीं है. अगर सटीक जानकारी होती तो वह यह मुद्दा आज नहीं उठाते और न ही ऐसे विवादित जमीन की खरीद-फरोख्त करते. अगर चाय श्रमिकों की खून से उत्तरायण खड़ा हुआ है, तो रथीन्द्र बोस ने भी उस खून से क्यों अपने पर लाल दाग लगाया.
उन्होंने खुद वहां जमीन के दो प्लॉटों की खरीददारी की और बाद में मोटी कीमत लेकर उसकी बिक्री कर दी.श्री भट्टाचार्य ने मंत्री गौतम देव पर भी निशाना साधते हुए कहा कि बीते तीन सालों से वह इस जमीन की फाइलें खुलवाने और कार्रवाई करने की बात कई बार कर चुके हैं. अगर इस जमीन को लेकर किसी तरह की गड़बड़ी हुई है, तो मंत्री मामला क्यों दायर नहीं कर रहे हैं.
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