भारत-बांग्लादेश सीमा पर पशु तस्करों का बढ़ा उत्पात
कदमतला : उत्तर बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर पशु तस्करी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है. हिली से लेकर कूचबिहार तक हर दिन ही भारी संख्या में भारतीय सीमा क्षेत्र से पशुओं की तस्करी कर उसे बांग्लादेश भेजा जा रहा है. भारत-बांग्लादेश सीमा पर कई स्थानों पर कांटा तार का घेरा नहीं है. इसके अलावा जिन स्थानों पर ऐसे घेरे लगाये भी गये हैं, वहां बांग्लादेशी तस्कर पांच मिनट से भी कम समय में अत्याधुनिक यंत्र से तार काट देते हैं.
बीएसएफ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हर दिन ही कहीं न कहीं पशु तस्करों के साथ बीएसएफ के जवानों की भिड़न्त होती रहती है. पशु तस्करी को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने सीमा पर पहरेदारी बढ़ा दी है. दूसरी तरफ बीएसएफ की इस पहरेदारी को देखते हुए पशु तस्करों ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है. बीएसएफ सूत्रों ने आगे बताया कि हर आठ सौ मीटर पर बीएसएफ के पांच जवानों की पहरेदारी लगायी जाती है. इसके बावजूद पशु तस्करों का आतंक कम नहीं होता. पशु तस्करी के काम में बांग्लादेशी घुसपैठिये लिप्त रहते हैं. भारतीय सीमा क्षेत्र के अंदर बांग्लादेशियों ने अपने दलाल बना रखे हैं. सीमा क्षेत्र के गांवों से ऐसे दलाल गाय, बैल आदि की चोरी कर या काफी कम कीमत पर खरीद कर उसे बांग्लादेश की ओर खदेड़ देते हैं.
मुठभेड़ में कमी
भारत सरकार ने बांग्लादेश के साथ बेहतर संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए सीमा पर फायरिंग की अघोषित रूप से मनाही कर दी है. इसलिए पिछले कुछ वर्षो के दौरान भारत-बांग्लादेश सीमा पर पशु तस्करों के साथ मुठभेड़ के मामले में कमी आयी है. सीमा पर फायरिंग न करने के अघोषित सरकारी आदेश के कारण ही बीएसएफ के जवानों की परेशानी बढ़ गई है. दूसरी तरफ बांग्लादेशी तस्करों में भी इसके कारण बीएसएफ का खौफ कम हो गया है.पशु तस्करी रोकने के लिए बीएसएफ के अधिकारियों ने बांग्लादेश बोर्डर गार्ड (बीबीजी) के अधिकारियों से भी बातचीत की है. बीएसएफ सूत्रों ने बताया है कि पशु तस्करी रोकने के मामले में बीबीजी का उन्हें कोई सहयोग नहीं मिलता है.
क्या कहते हैं आइजी
इस संबंध में बीएसएफ के आईजी संजीव कृष्ण सूद ने कहा है कि पशु तस्करी को रोकने के लिए बीएसएफ द्वारा कारगर कदम उठाये जा रहे हैं. पशु तस्करों को काबू में करने के लिए एक्शन गण का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस गण से र्छे निकते हैं जिससे लोग घायल हो जाते हैं, लेकिन मतौत हनीं होती. इसके अलावा सीमा पर निगरानी के लिए अत्याधुनिक सर्विलेंस रिक्यूपमेंट लगाये जा रहे हैं. थर्मल इमेजेज नामक अत्याधुनिक रिक्यूपमेंट का भी प्रयोग करने का निर्णय लिया गया है. इससे दूर से ही तस्करों की गतिविधियों का पता चल जाता है.