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बिपिन बिहारी ने खोला मोरचा

सिलीगुड़ी: जायसवाल ब्याहुत व कलवार समाज का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. जायसवाल ब्याहुत सेवा ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी रामानंद प्रसाद के खिलाफ बिपिन बिहारी गुप्ता ने आज मोरचा खोल दिया. सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान संवाददाताओं के सामने उन्होंने रामानंद प्रसाद पर जमकर हमला बोला.इसके साथ ही उन्होंने जायसवाल […]

सिलीगुड़ी: जायसवाल ब्याहुत व कलवार समाज का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. जायसवाल ब्याहुत सेवा ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी रामानंद प्रसाद के खिलाफ बिपिन बिहारी गुप्ता ने आज मोरचा खोल दिया. सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान संवाददाताओं के सामने उन्होंने रामानंद प्रसाद पर जमकर हमला बोला.इसके साथ ही उन्होंने जायसवाल भवन का नाम बदलकर कलवार भवन करने एवं इस भवन पर कब्जा करने की कोशिशों पर भी उन्होंने सफाई दी.

उन्होंने कहा कि 1988 में जायसवाल ब्याहुत सेवा ट्रस्ट की नींव रखी गई थी. उस समय सत्य प्रकाश अध्यक्ष, रामानंद प्रसाद सचिव एवं देवेन्द्र जायसवाल कोषाध्यक्ष चुने गये. ट्रस्ट के संविधान के अनुसार प्रत्येक दो साल पर नयी कमेटी गठित की जानी चाहिए, लेकिन रामानंद प्रसाद 17 सालों तक बिना चुनाव के अपने पद पर बने रहे. 17 साल बाद 20 अगस्त, 2006 को नयी कमेटी के लिए चुनाव हुआ. इस बार रामानंद प्रसाद अध्यक्ष, उमेश प्रसाद सचिव एवं रघुवंश प्रसाद कोषाध्यक्ष चुने गये. इस कमेटी के भी दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद अपने पद पर बने रहने के लिए रामानंद प्रसाद चुनाव कराने से बचते रहे. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि रामानंद प्रसाद ट्रस्ट को अपनी निजी जागीर की तरह चलाये जा रहे थे. ट्रस्ट के अन्य अधिकारियों को अपना मुनीम समझने लगे. बिना किसी के सलाह के बगैर अवैध रूप से ट्रस्ट का संचालन कर रहे थे. जायसवाल ब्याहुत सेवा ट्रस्ट और इसकी एकमात्र संपत्ति बर्दमान रोड स्थित जायसवाल ब्याहुत भवन को भी इन्होंने निजी मालकीयत बना ली. बिपिन बिहारी गुप्ता ने आगे कहा कि रामानंद प्रसाद ने अपने कार्यकाल के दौरान समाज के लिए कुछ भी नहीं किया. सामाजिक उत्थान का कोई कार्य नहीं हुआ. भवन का विकास नहीं हुआ. बिपिन बिहारी गुप्ता ने कहा कि समाज को एक करने एवं सामाजिक उत्थान के लिए मैंने हमेशा कार्य किया है. उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर जिन्होंने समाज विरोधी कार्य करने का आरोप लगाया है, वे लोग खुद ही इतने दिनों तक समाज के खिलाफ एवं संविधान के विरूद्ध कार्य करते आये.

उन्होंने बताया कि हमारे समाज में 200 से भी अधिक वर्ग के लोग हैं जिनकी पहचान एकमात्र जाति कलवार से होती है. पूरा समाज एक छत्रछाया में हो, इसके लिए हमने जायसवाल ब्याहुत सेवा ट्रस्ट के संविधान के अनुसार संचालित करने का बीड़ा उठाया. इसमें 52 ट्रस्टी हैं. इसका एक संविधान है जिसके अनुसार 31 लोगों को मिलाकर बोर्ड ऑफ ट्रस्टी बनता है. बोर्ड ट्रस्टियों, आजीवन सदस्यों एवं सदस्यों का एक निश्चित अनुपात मिलाकर कमेटी बनती है. संविधान के अनुसार बोर्ड ही निर्णायक है. इसके निर्णय से ही संस्था का संचालन होता है.

जायवाल ब्याहुत सेवा ट्रस्ट के उदासीनता के चलते समाज ने कलवार सर्ववर्गीय समाज नामक नयी संस्था का गठन किया. इसके अध्यक्ष भी रामानंद प्रसाद ही बने. इस संस्था ने बहुत ही कम समय में समाज की उन्नति का कार्य करना शुरू किया. इस संस्था की गतिविधियों को देखते हुए जायसवाल ब्याहुत सेवा ट्रस्ट के ट्रस्टियों व सदस्यों ने जायसवाल ब्याहुत भवन की अव्यवस्था पर अध्यक्ष रामानंद प्रसाद के सामने चिंता जतायी और इसको व्यवस्थित करने की मांग की,लेकिन रामानंद प्रसाद ने इनकी अनदेखी कर दी. ट्रस्ट व भवन को वह अव्यवस्थित व गैर कानूनी ढंग से चलाते रहे. बाद में परेशान हो ट्रस्टियों एवं सदस्यों ने संविधान के अनुसार एक नोटिस जारी कर 22 दिसंबर, 2013 को भवन में चुनाव करवाया. बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का गठन भी हुआ. सर्वसम्मति से इस नयी कमेटी के अजीत प्रसाद अध्यक्ष, बिपिन बिहारी गुप्ता सचिव एवं रघुवंश प्रसाद कोषाध्यक्ष चुने गये. उन्होंने आगे कहा कि जीर्ण-शीर्ण जायसवाल ब्याहुत भवन का जीर्णोद्धार किया गया. भवन की ढांचागत विकास के लिए अब भी प्रयास किये जा रहे हैं. जल्द ही भवन में सुरक्षा के लिए अग्नि शमन यंत्र लगाये जाएंगे. लिफ्ट की व्यवस्था होगी. 17 सालों से निगम का आठ लाख से अधिक का टैक्स बकाया पड़ा है. इसे माफी करवाने के लिए कमेटी ने निगम को चिट्ठी लिखी है.

पुरानी कमेटी ने अब तक का कोई लेखा-जोखा नयी कमेटी को नहीं सौंपी है. बिपिन बिहारी गुप्ता ने कहा कि इन सभी अनियमितताओं को दूर करने एवं समाज को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से ही सभी के सम्मति से जायसवाल ब्याहुत भवन का नाम बदल कर कलवार भवन करने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है कि वह इस भवन पर कब्जे की कोशिश कर रहे हैं.उन्होंने कहा अगर किसी को लगता है कि हमने समाज विरोधी तथा संविधान विरोधी कार्य किया है, तो हमारे खिलाफ कोर्ट में मामला कर सकते हैं. मैं इसकी पूरी सफाई कोर्ट में ही दूंगा. इस दौरान जायसवाल ब्याहुत सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष अजीत प्रसाद व कोषाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद ने भी संवाददाताओं को संबोधित किया. वहीं रामानंद प्रसाद पर लगे आरोपों की प्रतिक्रिया हेतु इनके मोबाइल फोन पर संपर्क करने की काफी कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.

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